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केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के लिए ‘गौ-संरक्षण’ प्राथमिकता में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों ही नेताओं का गौ-प्रेम किसी से छुपा नहीं है। गाय पालन और उनके संरक्षण के लिए सरकार प्रयासरत है लेकिन फिर भी ‘आवारा गोवंश’ की समस्या समेत कई समस्याएं हैं, जिनका समाधान नहीं हो पाया है।
दरअसल इसके पीछे की वजह यह है कि, अब तक गाय को आस्था से जोड़कर ही संरक्षण दिया गया। बल्कि उसे उपयोगी और लाभकारी बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। यही वजह है कि, किसान गायों को आवारा छोड़ देता है या फिर स्लॉटर हाउस में कटने के लिए बेच देता है।
क्योंकि जब किसान के पास खुद ही खाने को पर्याप्त भोजन नहीं जुट पाता तो ऐसी स्थिति में वह ‘गाय’ को कैसे पालेगा। इस समस्या का समाधान यही है कि गोवंश को किसी काम में लाया जाये जिसके बदले धनार्जन हो और किसान को आर्थिक लाभ हो।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार जल्दी ही ‘गाय स्टार्टअप’ योजना शुरू करने जा रही है। इस योजना के तहत गो पालन को आर्थिक लाभ से जोड़ा जाएगा।
इस स्टार्टअप को लेकर राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि, सरकार की मंशा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि के साथ ही गाय का भी योगदान लिया जाए। साथ ही गो पालन से रोजगार के भी नए अवसर निकलेंगे।
‘गाय स्टार्टअप’ योजना के लिए तबेलों को बैंक से ऋण और सब्सिडी भी दी जाएगी। इसके आलावा गोवंश से तैयार उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए भी सरकार सुविधा उपलब्ध कराएगी।
गौ-मूत्र से बने साबुन और मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती के अलावा गोबर से बने आर्गेनिक खाद, आर्गेनिक हैंडमेड काग़ज़ को अब बड़े मंदिरों, राज्यों के भवन, सरकारी आयुर्वेद केन्द्र और खादी काउंटर में बिक्री के लिए रखा जाएगा।
बता दें कि इन गौशालाओं के लिए कंपनियों के कॉर्पोरेट सोशल दायित्व (सीएसआईआर) से भी आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाएगी।