जुबिली स्पेशल डेस्क
पूरी दुनिया के लिए कोरोना वायरस खतरा बनता जा रहा है। कोरोना की दवा को लेकर दुनिया के तमाम देश दावे जरूर कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई ऐसा देश नहीं है जो कोरोना की दवा बनाने में कामयाब हुआ है।
इस वजह से कोरोना लगातार दुनिया में तबाही मचा रहा है। चीन से निकला कोरोना पहले यूरोप के लिए खतरा बना और वहां पर तबाही देखने को मिली।
इसके बाद कोरोना का अगला ठिकाना अमेरिका जा पहुंचा। सबसे जरूरी बात यह है कि दुनिया का सबसे ताकतवार देश अमेरिका भी कोरोना के आगे बेबस नजर आया। आलम तो यह है कि यहां पर चार लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगी खत्म हो गई और अब भी 75 लाख लोग कोरोना की चपेट में है।
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इतना ही नहीं कोरोना की वजह से अमेरिका की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो गई है। अमेरिका में कोरोना को रोकने के लिए वैक्सीन और दवाई पर रिसर्च चल रही है। जानकारी के मुताबिक यह रिसर्च अब अंतिम दौर में प्रवेश कर चुकी है लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं मिला है।
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हालांकि कोरोना को लेकर एक रिसर्च सामने आ रही है कि कुछ खास ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना की सबसे ज्यादा खतरा है। इस शोध में पाया गया है कि कुछ ब्लड ग्रुप वालों पर कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा है तो कुछ पर कम।
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ब्लूमबर्ग की ओर से प्रकाशित एक स्टडी में बीमारी की गंभीरता की बजाय संवेदनशीलता को देखा गया। इस शोध में 10,000 लोगों को शामिल किया गया है। बताया जा रहा है कि इन लोगों को कोरोना हुआ था और शोध में पाया गया है कि ओ टाइप रक्त वाले व्यक्ति वायरस के लिए पॉजिटिव टेस्ट देने वाले अन्य रक्त टाइप वाले व्यक्तियों की तुलना में 9 फीसदी से 18 फीसदी के बीच कम होते हैं।
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वैज्ञानिकों ने इसको लेकर लोगों के ब्लड सैंपल और जीन डिजाइन का टेस्ट किया है तब इस नतीजे पर पहुंचे है। अध्ययन में बताया गया है कि इसे तीन ग्रुप में बांटा गया था। पहला जिसने खुद बताया था कि उसे कोरोना हुआ है जबकि दूसरे- अस्पताल में भर्ती होने वाले लोग, तीसरे- ज्ञात जोखिम के बाद संक्रमित होने वाले व्यक्ति।
इसके बाद पता चला है कि अध्ययन के प्रारंभिक परिणाम से मालूम हुआ कि O ब्लड ग्रुप वाले लोगों को संक्रमित होने की कम से कम संभावना थी। दूसरे ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों की तुलना में O ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों में कोरोना संक्रमण 9 से 18 फीसदी कम था। आयु, लिंग, बॉडी मास इंडेक्स, जातियता के आधार पर भी लोगों को रखने पर परिणाम समान रहे।
शोध में पाया गया है कि ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कोरोना होने की ज्यादा संभावना रहती है। ऐसे लोगों को कोरोना हुआ तो उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अन्य ब्लड गु्रप वालों की अपेक्षा ए ब्लड ग्रुप वालों को संक्रमित होने का खतरा छह फीसदी तक ज्यादा है।
इसके पीछे एक और अहम कारण है। शोध में पता चला है कि ए ब्लड ग्रुप वाले कोरोना पीडि़तों में डीएनए का एक खास हिस्सा ऐसा है, जो ज्यादा जोखिम का कारक हो सकता है। इससे पहले चीन के वुहान में हुई रिसर्च स्टडी में भी पता चला था कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ए है, उन्हें कोरोना के संक्रमण का ज्यादा खतरा है।