न्यूज डेस्क
चीन से दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस का असर अब भारत में तेजी से देखने को मिल रहा है। यहां 24 घंटे के अंदर करीब 700 नए मामले सामने आए हैं। जिसमें पिछले 12 घंटों में कोरोना के 547 नए केस आएं हैं और 30 की मौत हो गई है। भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 6412 हो गई है, जबकि 199 लोगों की मौत हो चुकी है।
इन सबके बीच इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने देश को भयानक खतरे के संकेत दिए हैं। हाल के कुछ हफ्तों में ICMR की ओर से देशभर के अलग—अलग जिलों से लिए गए कोरोना वायरस मरीजों के नमूनों और उनकी केस हिस्ट्री की जानकारी में जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। ICMR ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा न के बराबर है।
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च की टीम ने 15 फरवरी और 2 अप्रैल के बीच कोविड-19 से संक्रमित 5,911 मरीजों की जांच की। इसमें से 104 मरीजों कोरोना पॉजिटिव पाए गए। ये सभी मरीज 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशा के 52 जिलों से थे। जांच में इन पॉजिटिव मरीजों में से 40 मरीजों ने कभी विदेश यात्रा नहीं की और न ही इनका संबंध कभी किसी विदेशी यात्री से रहा।15 राज्यों के 36 जिलों में ऐसे मरीजों में कोरोना का संक्रमण देखने को मिला जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी।
गुजरात में 792 गंभीर रूप से बीमार लोगों की जांच की गई। इनमें से 13 मामले कोरोना पॉजिटिव पाए गए. तमिलनाडु में 577 मरीजों की जांच की गई जिसमें से 5 मरीजों में कोविड-19 सक्रिय था। महाराष्ट्र में 553 मरीजों में से 21 में कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसी तरह केरल 502 मरीजों में 1 मरीज करोना पॉजिटिव मिला।
ICMR की रिपोर्ट में कहा गया है जिन जिलों में इस तरह के मरीज ज्यादा देखने को मिल रहे हैं वहां और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। कोरोना के खतरे को लेकर ICMR ने जब 14 मार्च को अपनी रिपोर्ट दी थी तब उसने कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे को पूरी तरह से नकार दिया था लेकिन अब जो रिपोर्ट सौंपी गई है वह अच्छे संकेत नहीं दे रही है।
क्या होता है कम्युनिटी ट्रांसमिशन :-
ये तब होता है जब वायरस सोसायटी में घुसकर बहुत बड़ी संख्या में लोगों को बीमार करने लगे। कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों की मौत होने लगे। लेकिन साथ ही साथ एक बार बीमार हो चुके लोगों में इसके लिए इम्युनिटी पैदा हो जाए और आखिर में वायरस कुछ न कर सके. इसे प्रतिरक्षा का सिद्धांत कहते हैं।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू होते ही ये हालात आते ही हैं। रोग प्रतिरक्षा पैदा होने में कितना वक्त लगता है ये कई बातों पर निर्भर है। जैसे बीमारी कितनी तेजी से फैल रही है। इम्युनिटी पैदा होने में आमतौर पर 6 महीने से लेकर 1 साल का वक्त लगता है। अभी तक SARS-CoV2 के मामले में वैज्ञानिक ये बता नहीं सके हैं।