जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। लार्सन एंड टुब्रो ने स्वीकार किया है कि कोविड-19 संकट के चलते वह भी श्रमिकों की कमी के संकट से बच नहीं पाई है। समूह के चेयरमैन ए.एम नाईक ने कहा कि कंपनी के ठेकों में श्रमिकों की संख्या लॉकडाउन से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू होने पर भी 1.6 लाख से कम है, जबकि इससे पहले यह 2.25 लाख थी।
कंपनी की ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि उसकी 90 प्रतिशत घरेलू परियोजना स्थलों पर काम मजदूरों की कमी के बीच हो रहा है। नाईक ने रिपोर्ट में कहा कि आज भी प्रवासी मजदूरों की पैदल अथवा छोटे- मोटे वाहनों से या बड़ी संख्या में केंद्र द्वारा राज्य सरकारों के साथ समन्वय में शुरू की गई विशेष श्रमिक रेलगाड्रियों तथा बसों से घर लौटने की तस्वीरें दिलोदिमाग में ताजा हैं।
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मुख्यधारा के मीडिया के अलावा सोशल मीडिया पर भी इसके बारे में काफी-कुछ आया है। उन्होंने कहा कि कंपनी ने अपने स्तर पर परियोजना स्थलों पर श्रमिकों को राहत देने के लिए कदम उठाए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसके बावजूद कंपनी श्रम संकट से बच नहीं पाई है।
नाईक ने कहा कि कोविड-19 से पहले हमारे परियोजना स्थलों पर ठेकेदारों के श्रमिकों की संख्या 2,25,000 थी, जो लॉकडाउन शुरू होने के समय घटकर 1,60,000 रह गई और अब परियोजना स्थलों पर काम शुरू होने के समय इसमें और गिरावट आई है।
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हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि दूसरी तिमाही में धीरे- धीरे चीजें सामान्य हो जाएंगी। दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति पर चिंता जताते हुए नाईक ने कहा कि कंपनी यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि उसके परियोजना स्थलों पर 1,60,000 श्रमिकों की अच्छी देखभाल हो सके।
उन्होंने कहा, ‘हम श्रमिकों को उनकी मजदूरी, खाना, रहने का स्थान और चिकित्सा सुविधा मुहैया करा रहे हैं। साथ कोविड-19 से बचाव के लिए तमाम ऐहतियाती कदम उठा रहे हैं।’
नाईक ने कहा कि इस पर हमें हर महीने 500 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी और इसके प्रभाव के मद्देजनर भविष्य का आकलन करना काफी मुश्किल है।
उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि 2020- 21 की दूसरी तिमाही में आर्थिक और कारोबारी गतिविधियां बेहतर होंगी, ठेके लेने, देने, तरलता और श्रमिक तथा आपूर्ति श्रृंखला में पुरानी स्थिति बहाल होने की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन मौजूदा स्थिति में चालू वित्त वर्ष के दौरान कंपनी के कामकाज के परिणाम को लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।’
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