जुबिली न्यूज़ डेस्क
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण कानून के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए 24 फरवरी की तारीख लगाई है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से याचिका पर पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय मांगे जाने पर दिया है।
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी याचिकाओं को स्थानान्तरित कर एक साथ सुने जाने की राज्य की मांग अस्वीकार करने के बाद अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा। इस पर सुनवाई स्थगित कर दी गई। गौरतलब है कि राज्य सरकार याचिका पर पहले ही जवाबी हलफनामा दाखिल कर चुकी है।
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याचिकाओं में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को संविधान के खिलाफ और गैर जरूरी बताते हुए चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि यह कानून व्यक्ति के अपनी पसंद व शर्तों पर किसी भी व्यक्ति के साथ रहने व धर्म/ पंथ अपनाने के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है।
राज्य सरकार का कहना है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था व सामाजिक स्थिति खराब हो रही थी। जिस पर रोक लगाया जाना सामाजिक ताने-बाने को सही रखने के लिए जरूरी है। यह पूरी तरह से संविधान सम्मत है। इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता है।
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