जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली : दिल्ली शराब घोटाले पर कोर्ट के बयान ने एक बार फिर हलचल मचा दिया है। दरअसल शराब नीति घोटाला मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट के एक फैसले के बाद आम आदमी पार्टी और बीजेपी एक बार फिर से आमने सामने है। आप ने आबकारी नीति मामले में अदालत द्वारा दो आरोपियों को जमानत दिए जाने के बाद रविवार को कहा कि इस मामले में पार्टी पर ‘झूठे’आरोप लगाने के लिए भाजपा माफी मांगे।
दूसरी तरफ बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर दिल्ली आबकारी नीति मामले में जमानत से संबंधित अदालत के एक आदेश को “तोड़ मरोड़कर और भ्रामक” तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। भाजपा नेताओं ने कहा कि इसके लिए ‘आप’ नेताओं पर अदालत की अवमानना का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
‘कोर्ट ने कहा- मामले में कोई ठोस सबूत नहीं’
दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने दावा किया कि शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस केस के आरोपी राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा को जमानत देते हुए जो ऑर्डर जारी किया है, उससे यह बात सामने आई है कि ईडी के पास इस मामले में कोई सबूत नहीं है। आतिशी के मुताबिक, आदेश में बार-बार जज ने एक ही बात दोहराई है कि ईडी ने कोई भी ठोस सबूत सामने नहीं रखा है। यहां तक कि 100 करोड़ के अमाउंट की बात कहां से आई, यह भी स्पष्ट नहीं है। क्योंकि ईडी ने अपनी चार्जशीट में केवल 30 करोड़ रुपये की बात कही है और इसके लेन-देन का भी कोई सबूत ईडी पेश नहीं कर पाई है।
उन्होंने दावा किया कि पर्चियों के माध्यम से 30 करोड़ रुपये के लेन-देन का आरोप भी कोर्ट में साबित नहीं हो पाया। इस रकम के गोवा चुनाव में इस्तेमाल करने का जो आरोप था, उसे लेकर ईडी ने कोर्ट में कहा है कि ‘आप’ ने गोवा के चुनाव में केवल 19 लाख रुपये कैश में खर्च किए।
केंद्रीय मंत्री लेखी ने किया पलटवार
केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि ‘आप’ नेता अदालत के जमानत आदेश को मामले में फैसला बताकर ‘झूठ फैला रहे हैं’ और लोगों को ‘गुमराह’ कर रहे हैं। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि शराब घोटाले, दिल्ली जल बोर्ड घोटाले और बंगला घोटाले में अरविंद केजरीवाल की सरकार की पोल खुलने के बाद हर गुजरते दिन के साथ आम आदमी पार्टी के नेताओं की राजनीतिक हताशा बढ़ती जा रही है।
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क्या था कोर्ट का फैसला
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शनिवार को दो आरोपियों को जमानत दी थी। कोर्ट ने यह कहा था कि उनके खिलाफ मामले को प्रथम दृष्टया ‘वास्तविक’ मानने के लिए सबूत पर्याप्त नहीं हैं। स्पेशल जज एम. के. नागपाल ने राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा को दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर राहत प्रदान की थी।
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जोशी की जमानत याचिका के संबंध में, अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया लगता है कि सबूत यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि आरोपी के खिलाफ मामला वास्तविक है या उसे मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी माना जा सकता है। गौतम मल्होत्रा के बारे में अदालत ने कहा था कि मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर अभियोजन पक्ष के मामले को प्रथम दृष्टया एक वास्तविक मामला नहीं माना जा सकता।