Friday - 25 October 2024 - 3:48 PM

SC के ई-मेल्स में पीएम की तस्वीर पर कोर्ट ने जतायी आपत्ति

जुबिली न्यूज डेस्क

उच्चतम न्यायालय की आधिकारिक मेल आईडी के फुटनोट पर पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर और केंद्र सरकार का नारा ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’  इस्तेमाल किए जाने पर शीर्ष अदालत ने आपत्ति जताई है।

फिलहाल अदालत की आपत्ति के बाद इसे हटा लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने ई-मेल से जुड़ी सुविधा उपलब्ध कराने वाले नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर को निर्देश दिया कि स्लोगन को हटाए और मौजूदा तस्वीर की जगह सुप्रीम कोर्ट की फोटो का इस्तेमाल करें।

सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक मेल के फुटनोट पर नजर आ रही थी ये तस्वीर।

कोर्ट के इस आदेश के बाद नई तस्वीर के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की फोटो का इस्तेमाल किया जा रहा है।

22 सितंबर की शाम को कुछ अधिवक्ताओं द्वारा तस्वीर इस्तेमाल पर आपत्ति जताए जाने के बाद रजिस्ट्री के संज्ञान में यह बात आई कि सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक ई-मेल के साथ प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर और एक चुनावी नारा भी जा रहा है, जिसका न्यायपालिका के कामकाज से कोई संबंध नहीं है।

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फिलहाल शुक्रवार को अदालत ने इसे हटाने के निर्देश जारी किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के व्हाट्सएप ग्रुप पर उठाया गया था।

ग्रुप में लिखे गए संदेश में अधिवक्ता ने लिखा कि सर मुझे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा नोटिस भेजा गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर दिखाई दे रही है। संदेश में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट एक स्वतंत्र अंग है नाकि सरकार का हिस्सा, ऐसे में आप से अनुरोध है कि इस मामले को ष्टछ्वढ्ढ के सामने उठाएं और विरोध दर्ज कराएं।

वहीं इस मामले पर ई-मेल से जुड़ी सुविधा उपलब्ध कराने वाले नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) ने कहा कि इस स्क्रिप्ट का इस्तेमाल NIC के सभी प्लेटफॉर्म के लिए किया जा रहा है, शिकायत के बाद सुप्रीम कोर्ट के प्लेटफॉर्म से इसे हटाने के कदम उठाए गए।

एनआईसी ने कहा कि इससे पहले हमने गांधी जयंति से संबंधित एक संदेश का इस्तेमाल किया था।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट इस ईमेल सुविधा का इस्तेमाल वकीलों को सूचना देने और नोटिस देने जैसे कामों के लिए किया जाता है। वहीं इस पर आपत्ति दर्ज करने वाले वकील एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के थे।

ये वो वकील होते हैं जो उच्चतम न्यायालय में पैरवी करने के योग्य होते हैं, केवल AOR ही सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज करा सकता है। इसके अलावा रजिस्ट्री वह विभाग होता है जो कोर्ट के बैक-एंड का काम संभालती है।

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