न्यूज डेस्क
जम्मू कश्मीर में लगी पाबंदियों को खत्म करने को लेकर दायर की गई याचिका पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और एक सप्ताह के भीतर इस मामले पर विस्तृत जवाब दायर करने को कहा है।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त से संचार सेवाओं पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके अलावा मीडिया को खबरे छापने से रोकने जैसी भी कई पाबंदियां लगाई गई हैं। इस मामले को लेकर सामाजिक संगठन और विपक्षी दल लगातार आवाज उठा रहे हैं।
इसी मामले को लेकर ‘कश्मीर टाइम्स’ की संपादक अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य में मोबाइल इंटरनेट और टेलीफोन सेवा सहित संचार के सभी माध्यमों को बहाल किए जाने की मांग की थी ताकि मीडिया सही से अपना कामकाज शुरू कर पाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर से ही जुड़े अन्य याचिकाओं की भी सुनवाई की। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
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कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले को लेकर दायर सभी याचिकाओं पर सुनवाई अक्टूबर महीने से पांच जजों वाली संविधान पीठ करेगी।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी को अपने सहयोगी मोहम्मद यूसुफ तारीगामी और एक कश्मीरी छात्र को अपने परिवार से मिलने के लिए जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत दे दी।
हालांकि कोर्ट ने येचुरी को निर्देश दिया कि जम्मू-कश्मीर जा कर वे सिर्फ तारीगामी से मिलें और अपनी यात्रा का इस्तेमाल किसी भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए न करें।
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अदालत ने कहा कि अगर येचुरी किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधि में शामिल होते हैं तो अधिकारी इस बारे में उच्चतम न्यायालय को बताने के लिए स्वतंत्र हैं।
उधर, सरकार के वकील ने कहा कि याचिकाओं की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट जो कुछ भी कह रहा है उसे संयुक्त राष्ट्र में भेजा जाता है। इस पर उनके और याचिकाकर्ताओं के वकीलों के बीच हो रही बहस के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, ‘हमें पता है क्या करना है। हमने आदेश पास कर दिया है। हम इसे नहीं बदल रहे।’
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