जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. चार धाम यात्रा के मुद्दे पर उत्तराखंड हाईकोर्ट और सरकार के बीच ठन गई है. उत्तराखंड सरकार चाहती थी कि पहली जुलाई से चार धाम यात्रा शुरू हो जाए लेकिन उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. हाईकोर्ट ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों की लाइव स्ट्रीमिंग की जाए लेकिन चार धाम के कुछ पुजारियों ने यह कहकर लाइव स्ट्रीमिंग को मानने से इनकार कर दिया कि हमारे शास्त्र इसकी इजाजत नहीं देते.
अब हाईकोर्ट ने एडवोकेट जनरल से कहा है कि अदालत को वह शास्त्र दिखाए जाएं जो लाइव स्ट्रीमिंग से रोकते हों, साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी साफ़ कर दिया कि देश क़ानून से चलता है शास्त्रों से नहीं. अदालत ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. यहाँ पर क़ानून का शासन है.
जस्टिस आर.एस. चौहान और जस्टिस आलोक वर्मा की पीठ ने एडवोकेट जनरल से कहा कि धार्मिक बहस में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि उसमें कोई कानूनी आधार नहीं होता है. पीठ ने कहा कि इस देश का मार्गदर्शन करने वाली किताब हमारा संविधान है.
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हाईकोर्ट ने कहा कि हमने भी शास्त्र पढ़े हैं लेकिन हमें कहीं नहीं मिला कि लाइव स्ट्रीमिंग नहीं होनी चाहिए, फिर भी अगर कहीं लिखा है तो अदालत को दिखाया जाए. अदालत ने एडवोकेट जनरल को निर्देश दिया है कि 28 जुलाई को अगली सुनवाई पर यह बताना होगा कि किस शास्त्र की कौन सी लाइन में लाइव स्ट्रीमिंग के लिए मना किया गया है.