Saturday - 2 November 2024 - 2:52 PM

वित्त विभाग में प्रमोशन और तबादलों के इस खेल पर कब पड़ेगी योगी की निगाह

जुबली पोस्ट ब्यूरो 

सूबे के वित्त विभाग के अंतर्गत आने वाले उत्तर प्रदेश सहकारी समितियां एवं पंचायते लेखा परीक्षा विभाग के भीतर धांधली की अनंत श्रृंखला है।  विभाग में अफसरो की मनमानियों का आलम ये है की शासनादेश और नियमावलियां यहां महज दिखावे की वस्तु रह गई हैं।

बीते दिनों जुबिली पोस्ट ने इस विभाग में ज्येष्ठ लेखा परीक्षकों के प्रमोशन में हुई मनमानियों का खुलासा किया था।

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मामला सिर्फ प्रमोशन में धांधली तक ही नहीं रुका। इसके बाद भी कहानी जारी रही।  पूर्वाह्न में ज्वाइन किए गए ज्येष्ठ लेखा परीक्षकों का वेतन निर्धारित कर उसका भुगतान भी कर दिया गया है । यह उत्तर प्रदेश  सरकारी समितियां एवं पंचायती विभाग के मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी की आपत्तियों के बाद भी मनमानी की गयी और  ज्वाइनिंग के मामले में शासन द्वारा ज़िम्मेदार करार दिए जा चुके उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी केपीएस मलिक के विरुद्ध कार्रवाई  करने की बजाय उन्हें पैकफेड के अतिरिक्त चार्ज  के रूप में इनाम भी दे दिया गया। मलिक एक वर्ष पूर्व भी इस पद पर रह चुके हैं।

शासन के नियमानुसार प्रमोशन होने पर संबंधित कर्मी को वहीं बनाए रखा जाना चाहिए और यदि पद रिक्त ना हो तो अन्य जनपदों में रिक्त पदों पर समायोजित किया जाना चाहिए, लेकिन उत्तर प्रदेश सहकारी समितियां एवं पंचायत विभाग में शासन के वित्त सचिव एवं संयुक्त सचिव ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बड़ी संख्या में ज्येष्ठ लेखा परीक्षकों को मनचाहे जनपदों में स्थानांतरित कर दिया और कई जनपद तो ऐसे हैं जहां से सरप्लस के नाम पर कर्मचारियों का स्थानांतरण करके, दूसरे जनपदों से वापस उसी जनपद में समायोजित कर दिया गया।

इस तरह के कई मामले हैं। फतेहपुर से एक व्यक्ति का ट्रांसफर किया गया तो एक वापस लाया गया, रायबरेली से 2 हटे  और 3 का समायोजन कर लिया गया ,प्रतापगढ़ और उन्नाव में क्रमशः 3 और 2  ट्रांसफर पर गये और वापस लाये गये। इसी तरीके से प्रदेश के अन्य जनपदों में भी स्थानांतरित किए गए।  जुबली पोस्ट के संवाददाता के सवाल पूछने पर संयुक्त सचिव ( वित्त) बराती लाल ने नियमों के विपरीत प्रमोशन व स्थानांतरण को बड़ों का आदेश कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया और ऐसा दर्शाया जैसे उनकी कोई भूमिका इसमें हो ही नहीं और ना ही उन्हें कोई इसकी जानकारी है । 

लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं जो साफ़ बता रहे हैं कि इस विभाग में मनमाने ढंग से प्रमोशन ,स्थानांतरण एवं समायोजन का खेल चल रहा है । सहायक लेखा परीक्षा अधिकारियों को जिनका कार्यकाल भी तीन साल पूरा नहीं हो रहा है ,सरप्लस के नाम पर स्थानांतरित करने की चर्चा है। विभाग में जब चाहे तब जिले में सरप्लस अपनी शर्तों पर कर दिया जाता है और जब चाहे सरप्लस के नाम पर स्थानातरण का खेल शुरू हो जाता है ।

चर्चा तो ये भी है कि कर्मचारियों से इस का लाभ लेने के लिए धन उगाही का एक कॉकस भी सक्रिय है। एक जनपद से दूसरे जनपद में स्थानांतरण होने की  स्थिति में कर्मचारियों को स्थानांतरण यात्रा की भारी-भरकम धनराशि भी देनी पड़ती है जिससे अच्छा-खासा वित्तीय भार विभाग पर पड़ता है । इस प्रकार बिना सरप्लस हुए ही प्रमोशन पाये ज्येष्ठ लेखा परीक्षकों का ट्रांसफर करने से लाखों रूपए की राजस्व क्षति भी सरकार को हुई है।

स्थानांतरण सत्र में भ्रष्टाचार के लिए फिर भारी संख्या में स्थानांतरण का  खेल शुरू 

स्थानातरण सत्र शुरू होते ही शासन के अधिकारियों विभाग के अधिकारियों एवं मुख्यालय में 15 साल से भी अधिक समय से जमे बाबुओं का खेल शुरू हो गया है।  विभाग में कर्मचारियों की संख्या का 20% अधिकतम स्थानांतरित किए जाने के निर्देश के बाद भी इस विभाग में बड़े पैमाने पर स्थानांतरण की योजना बनाई जा चुकी है।

उत्तर प्रदेश सरकारी समितियां एवं पंचायती विभाग में स्थानांतरण करने के लिए विभाग के मुखिया मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी  अवनींद्र दीक्षित को दरकिनार करके वित्त विभाग के संयुक्त सचिव बराती लाल की ओर से एक कमेटी बनाई गई है जिसके अध्यक्ष के रूप में संयुक्त मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी पद्म जंग एवं दो सदस्य नसीर अहमद और श्रीमती कांति सिंह उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी नामित है।

खबर है कि तबादला कमेटी शासनादेश के विरुद्ध बड़े पैमाने पर की स्थानंतरण की योजना बना रही है। स्थानांतरण हेतु बनाई गई कमेटी द्वारा सूची तैयार कर शासन को भेजी जाएगी। शासन की स्वीकृति के उपरांत ही मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी के स्तर से स्थानांतरण सूची जारी की जाएगी .

स्थानांतरण कमेटी पर उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी केपीएस मलिक का प्रभाव बताया जा रहा है और चर्चा ये भी है कि यह सूची भी केपीएस मलिक के प्रभाव में ही बनायीं जा रही है।

तबादला उद्योग की कमर तोड़ने की कोशिश में लगे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की निगाह में यह खेल कब आता है यह तो वक्त ही बताएगा , लेकिन इतना तो तय है कि अगर सीएम ने इस मामले का संज्ञान ले लिया तो विभाग की कई बड़ी मछलियां जाल में फंसेंगी.

 

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