जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. 59 हज़ार करोड़ के राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच के लिए फ्रांस सरकार ने हरी झंडी दे दी है. इस जांच के लिए फ्रांसीसी जज की नियुक्ति भी हो गई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इसे चुनावी मुद्दा बनाते हुए राफेल सौदे की डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था.
राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की जांच के लिए फ्रांस में जज की नियुक्ति के बाद कांग्रेस ने भारत में भी राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की जांच की मांग उठाई है. कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि इस मुद्दे की जांच के लिए जेपीसी का गठन किया जाए. फ्रांस की मीडिया रिपोर्ट यह बताती है कि राफेल सौदे में प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार हुआ है. फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो की भूमिका की जांच भी की जायेगी.
फ्रांसीसी वेबसाईट ने अप्रैल 2021 में जो रिपोर्ट प्रकाशित की है उसमें राफेल सौदे में कई अनियमितताओं की बात कही गई है. राफेल सौदे में फ़्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने दस्तखत किये थे. मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल उस समय फ़्रांस के वित्त मंत्री थे. लिहाज़ा इस सौदे को लेकर सवाल उठे हैं तो जवाब तो दोनों से ही मांगे जायेंगे.
भारत में राफेल का मुद्दा चुनाव से पहले बुरी तरह से गर्माया हुआ था लेकिन भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने की पीठ ने राफेल से सम्बंधित सभी याचिकाओं को खारिज कर चुनाव से ठीक पहले भारत सरकार को बड़ी राहत दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था 14 राफेल लड़ाकू विमान खरीद का सौदा पूरी तरह से वैध था इसलिए याचियों की तरफ से आयी सौदे की प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायतों पर विचार नहीं किया जा सकता.
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अब फ़्रांस सरकार ने अपने देश में जांच शुरू करने को कहा है. जज की नियुक्ति कर दी है. पूर्व और वर्तमान राष्ट्रपति की भूमिका की जांच हो रही है. तत्कालीन रक्षामंत्री की भूमिका की जांच भी की जायेगी. ऐसे हालात में भारत सरकार पर भी दबाव बढ़ सकता है.