जुबिली न्यूज डेस्क
दुनिया के भ्रष्ट देशों की ताजा रैंकिंग के मुताबिक, भारत 96वें स्थान पर है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के 2024 के करप्शन परसेप्शन (CPI) इंडेक्स के अनुसार, भारत को इस साल एक अंक का नुकसान हुआ है और इसका कुल स्कोर 38 है। इस इंडेक्स में 180 देशों को शामिल किया गया है, जिन्हें 0 से 100 अंक के बीच स्कोर दिया गया है। जिन देशों का स्कोर अधिक होता है, वे रैंकिंग में ऊंचे स्थान पर होते हैं। उदाहरण के लिए, डेनमार्क ने 100 में से 90 अंक प्राप्त कर पहला स्थान हासिल किया है, जहां भ्रष्टाचार सबसे कम है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) में 96वां स्थान प्राप्त हुआ है, जो 2023 की तुलना में तीन स्थान नीचे है।
2014 से 2024 तक भारत की रैंकिंग और स्कोर:
वर्ष | रैंक | स्कोर |
---|---|---|
2014 | 85 | 38 |
2015 | 76 | 38 |
2016 | 79 | 40 |
2017 | 81 | 40 |
2018 | 78 | 41 |
2019 | 80 | 41 |
2020 | 86 | 40 |
2021 | 85 | 40 |
2022 | 85 | 39 |
2023 | 93 | 39 |
2024 | 96 | 38 |
इस डेटा से स्पष्ट है कि पिछले एक दशक में भारत की रैंकिंग में उतार-चढ़ाव देखा गया है, लेकिन कुल मिलाकर स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।
पड़ोसी देशों की स्थिति:
- पाकिस्तान: 135वां स्थान
- श्रीलंका: 121वां स्थान
- बांग्लादेश: 149वां स्थान
- चीन: 76वां स्थान
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि दक्षिण एशिया में भ्रष्टाचार की समस्या गंभीर बनी हुई है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य:
- डेनमार्क: 90 अंक (शीर्ष स्थान)
- फिनलैंड: 87 अंक
- सिंगापुर: 85 अंक
वैश्विक औसत 43 अंक है, जो पिछले वर्षों से स्थिर है।
निष्कर्ष:
भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है। सरकारी नीतियों में पारदर्शिता, जवाबदेही और कड़ी निगरानी की आवश्यकता है ताकि लोगों का विश्वास बढ़े और भ्रष्टाचार की समस्या को समाप्त किया जा सके।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल क्या है
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है, जिसका मुख्यालय जर्मनी के बर्लिन में स्थित है। यह संगठन हर साल करप्शन परसेप्शंस इंडेक्स (CPI) प्रकाशित करता है, जो दुनियाभर के देशों में भ्रष्टाचार की स्थिति को दर्शाता है। इस इंडेक्स से यह पता चलता है कि किस देश में भ्रष्टाचार का स्तर कितना है।
यह संस्था किसी देश में भ्रष्टाचार का आकलन करने के लिए तीन प्रमुख प्रकार के डेटा का उपयोग करती है, जो 13 विभिन्न सर्वेक्षणों और संस्थानों से एकत्रित किए जाते हैं। इनमें वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम जैसे प्रतिष्ठित संगठन शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त, विभिन्न देशों के विशेषज्ञों और कारोबारियों से भी जानकारी ली जाती है।
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इन सभी स्रोतों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण किया जाता है और फिर देशों की रैंकिंग तैयार की जाती है, जो वहां के भ्रष्टाचार के स्तर को दर्शाती है। इस प्रकार, यह इंडेक्स देशों को उनके भ्रष्टाचार की स्थिति के आधार पर अधिक या कम भ्रष्ट घोषित करता है।