जुबिली न्यूज ब्यूरो
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजना “आयुष्मान भारत” में भ्रष्टाचारियों ने अपना वर्चस्व बना लिया है । इस आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को मिलने वाले प्लास्टिक कार्ड की प्रिंटिंग के भुगतान में हो रही धांधली के बारे में जुबिली पोस्ट ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी ।
पढे : जिस आयुष्मान योजना की सफलता का सीएम मनाएंगे जश्न, वहाँ तो हो रही है बड़ी धांधली
जुबली पोस्ट ने पिछले अपने पोस्ट में यह मामला उठाया था कि किस प्रकार प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना में प्लास्टिक कार्ड की छपाई और भुगतान में धांधली की गई है और एक करोड़ नब्बे लाख रुपए के अग्रिम/रनिंग के बाद फिर एक करोड़ के भुगतान की तैयारी की जा रही है।
साथ ही यह भी बताया गया था कि अब तक अनुबंध के अनुसार कार्ड पूरी संख्या में जनपदों में भेजे ही नहीं गए हैं ,जो कार्ड रिप्रिन्ट के लिए फर्म को जनपदों से वापस किये गये थे,उन्हें भी अब तक जनपदों को वापस नहीं किया गया है। टेंडर की शर्तों के हिसाब से इस “क्रिटिकल एरर” के बावजूद पेनाल्टी की भी कटौती नहीं की गई।
इसके बाद भी मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने नियमों की अवहेलना करते हुए अब एक करोड़ रुपए का और भुगतान कंपनी को कर दिया है । यानी कुल 3 करोड़ 39 लाख रुपए में से 2 करोड़ 90 लाख का भुगतान किया जा चुका है और महज 49 लाख रुपए का ही भुगतान शेष रह गया है, जबकि नियमतः 50 प्रतिशत से ज्यादा का भुगतान किया ही नहीं जा सकता था।
इस टेंडर के अनुसार स्टेट एजेंसी फॉर कंपरीहेनसीव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) और फर्म अलंकृत लिमिटेड के बीच हुए PMJAY योजना के अंतर्गत हुए अनुबंध के अनुसार दस लाख रूपये की सिक्योरिटी मनी ली जानी थी जिसकी वैधता तीन माह की थी और कार्ड के कान्ट्रैक्ट की समय सीमा दो माह की थी।
20जनवरी 2019 से इफेक्टिव होने के बाद सितम्बर 2019 तक यह कार्ड अनुबंध के अनुसार न तो वितरित ही हुए हैं और बैंक गारंटी भी लैप्स हो चुकी है । इस देरी और प्रिटिंग में क्रिटिकल एरर के कारण पेनाल्टी की कटौती भी नहीं की गई और 2 करोड़ 90 लाख का अग्रिम/ रनिंग भुगतान भी अनुबंध /आरएफपी की शर्तों को दरकिनार करते हुए कर दिया गया ।
इतना ही नहीं बल्कि इन कार्डों का डीएम/सीएमओ के सत्यापन के बिना ही किया गया जबकि इस मामले में वित्त नियंत्रक ने आब्जेक्शन लगाए थे ।सूत्रों का कहना है कि इस भुगतान में हुई गड़बड़ी की जिम्मेदारी अब स्टेट एजेंसी फॉर कंपरीहेनसीव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के कार्य पालक अधिकारी की मानी जानी चाहिए।
साचीज में चल रहे लापरवाही भरे रवैये की एक और बानगी सामने आ रही है जब मुख्यमंत्री योजना के कार्डों के लिए भी वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया लेकिन फर्म से कोई अनुबंध साचीज ने अब तक किया ही नहीं है।