ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। सरयू के कछार में अधिकारियों, नेताओं के गठजोड़ से उपजी भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है। सत्ता पक्ष के सांसद ने जब मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की तो अब जांच व कार्रवाई के विषय से इधर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। पूरे मामले में नजूल विभाग के साथ अयोध्या विकास प्राधिकरण की भूमिका सर्वाधिक संदिग्ध है।
अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह का ही बयान है कि राम नगरी में चालीस कालोनियां अवैध है। यह बयान तब आया है जब फैजाबाद सांसद लल्लू सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और उसके बाद कोहराम मच गया। अभी भी पूरा खेल असली गुनहगारों को बचाने का ही चल रहा है। विकास प्राधिकरण के ही एक लेखपाल से नगर विधायक, महापौर, पूर्व विधायक के नाम के साथ चालीस लोगों की सूची वायरल कराई जाती है। इसके बाद सत्ता पक्ष के अंदर ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है।
सवाल यह है कि चालीस कालोनियां रातों-रात नहीं बनी। जरूर इसमें विकास प्राधिकरण का छोटे से लेकर बड़ा अधिकारी, कर्मचारी शामिल है। हिस्सा सबको मिला है। अब जब गंदगी पानी पर तैरने लगी तो सरयू के कछार में अधिकारियों, नेताओं के गठजोड़ से बह रही भ्रष्टाचार की गंगा को गंगा मिशन की तरह साफ करने की कवायद शुरू हो रही है।
उधर दिल्ली के बगल गाजियाबाद में एक भाजपा नेता के कारनामों पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री टाइट हो गए हैं और आरोपी के अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। गिरफ्तारी के लिए ईनाम रख दिया गया है और उसके करीबी अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना जताई जा रही है। लेकिन इधर राम नगरी में जमीन घोटाले को लेकर जो सनसनी तैर रही है उसमें सत्ता पक्ष सांसद के पत्र के बाद भी लखनऊ ने कोई निर्णय नहीं लिया है। जो कुछ स्थानीय स्तर पर बयान और कार्रवाई की बात आ रही है वह विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के तरफ से ही आ रही है।
विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष का बयान आता है कि सूची बनी है, कुछ नाम है, जांच हो रही है और भी बहुत कुछ। मालूम हो कि अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के पास नगर आयुक्त का चार्ज भी है और उपाध्यक्ष महोदय की गिनती मुख्यमंत्री के कृपापात्रों में मानी जाती है। बयान के बाद एक कार्यक्रम में अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, नगर विधायक के साथ झंडा वितरित करते नजर आए। इससे जनमानस में सवाल तैर गया है कि सूची को वायरल कराने के पीछे मंशा सफेदपोशों के साथ अधिकारियों को बचाने की है।
यही नहीं भ्रष्टाचार की कहानी शुरू हुई थी अयोध्या के डूब क्षेत्र और नजूल की जमीनों पर हो रही प्लाटिंग के संदर्भ में। धीरे-धीरे कहानी को नया रुप देने की कोशिश विकास प्राधिकरण कर रहा है। विकास प्राधिकरण क्षेत्र में जो नए इकतालीस गांव शामिल किए गए हैं उनको लेकर के डूब क्षेत्र, ग्राम समाज की जमीन, तालाब और झील की जमीनों की खरीद-फरोख्त में जमकर धांधली हुई है और फिर निर्माण कार्यों में। सांसद लल्लू सिंह का पत्र डूब क्षेत्र में हो रही जमीनों की खरीद-फरोख्त, प्लाटिंग के साथ पूरे नगर निगम सीमा में सरकारी जमीनों की हुई धांधली के संदर्भ में है।