ओम कुमार
घटिया पीपीई किट खरीद मामले में फंसा हुआ यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन अब अपनी गलती को छुपाने के लिए नए झूठ गढ़ने लगा है।
बीते 16 अप्रैल को जुबली पोस्ट ने लिखा था कि यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन ने कोविड-19 के संक्रमण के घातक बचाव के लिए सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेज में डॉक्टर्स के लिए घटिया पीपीई किट की सप्लाई कर दी थी। इस खबर के चर्चा में आने के बाद कार्पोरेशन ने पीपीई किट की सप्लाई रोकने और वापस लेने का आदेश जारी कर दिया।
फजीहत होने पर सरकार की ओर से एडीशनल चीफ सेक्रेटरी अवनीश अवस्थी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह किट दरअसल बीते वर्ष में अक्टूबर-नवंबर में स्वाइन फ्ल्यू से बचाव के लिये ली गयी थी। लेकिन शायद कार्पोरेशन के लोग इस मामले में अपर मुख्य सचिव को भी गलत जानकारी से प्रभावित करने में कामयाब हो गए।
जुबली पोस्ट ने इसकी पड़ताल की और पाया कि-
कई जिलों के अस्पतालों के सूत्रों का कहना है कि स्वाइन फ्लू के लिए कोई भी पीपीई किट कारपोरेशन ने सप्लाई ही नहीं की थी। सवाल यह भी है कि जब कारपोरेशन चिकित्सा इकाइयों की मांग पर कोई भी खरीदारी करता है और उसी की डिमांड के अनुसार इकाइयों को सप्लाई कर देता है तो ये पीपीई किट किसी भी जिले में क्यों नहीं भेजी गई ?
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शासन का कहना है कि यह खरीद अक्टूबर-नवंबर 2019 में की गई थी लेकिन जो पीपीई किट सप्लाई की गई है, उसकी पैकिंग पर मैन्यूफैक्चरिंग डेट फरवरी और मार्च 2020 की है। कार्पोरेशन को यह भी बताना चाहिए कि मैन्युफैक्चरिंग डेट बाद की हो और खरीद पहले ही हो जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भ्रस्टाचार के प्रति जीरो टालारेंस की नीति की चर्चा तो बहुत हो रही है , मगर यूपी मेडिकल कार्पोरेशन के रोज हो रहे खुलासे मुख्यमंत्री की सदीक्षा पर भारी पड रहे हैं।
(अगले अंक में पढ़ें-कारपोरेशन का एक और खेल ट्रिपल लेयर मास्क की खरीद में सरकार को लगाया लाखों का चूना)