ओम कुमार
लखनऊ। स्वास्थ्य महानिदेशालय की सी एम एस डी समाप्त करके दवाओं और सर्जिकल सामग्रियों की खरीद में कमीशनखोरी समाप्त करने के लिए यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन( यूपीएमएसएससी) का गठन किया गया ,लेकिन सरकार की मंशा के विपरीत मेडिकल कार्पोरेशन और शासन के अधिकारियों ने कमीशनखोरी के चक्कर में मेडिकल कार्पोरेशन को नकली और अधोमानक दवाओं का कारोबारी बन दिया है।
सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य महकमे के एक अधिकारी के बहकावे में मंत्री भी जनता की सेहत के साथ हो रहे खिलवाड़ और राजस्व की लूट को मौन सहमति दे रहे हैं।
पहले कार्पोरेशन में वित्त विभाग की बिना स्वीकृति के मनमाने वेतन पर संविदा पर कर्मचारियों व अधिकारियों की भर्ती की गयी जिसमें दवा कम्पनियों के दलालों की भर्ती भी विशेष रूप से की गयी ।फिर उन्हीं के सहारे फर्जी और अधोमानक दवाओं की आपूर्ति का खेल शुरू किया गया और अब एक नया खेल शुरू हुआ है जनपदों में ड्रग्स वेयरहाउस स्थापित करने का।
सस्ती दवायें होंगी बाजार दर से मंहगी,बढ़ेगा खर्च
ज्यादातर जिलों में ड्रग्स वेयरहाउस जनपदीय अस्पतालों से कई किमी दूर स्थापित किए जा रहे हैं । एक सूचना के अनुसार कुछ जनपदों को तो अपने आसपास के दूसरे जिलों के वेयर हाउस से दवा लेनी होगी।
वेयर हाउस से दवा की ढुलाई के लिए वाहन का किराया ,लोडिंगअनलोडिंग ,सेक्योरिटी पर खर्च के अलावा ,अस्पताल के कर्मचारी का टी ए और डीए अलग से देना होगा। इस तरह से सारे खर्चों को मिलाकर दवा की सस्ती दर, मार्केट दर या फिर उससे भी ज्यादा मंहगी हो जायेगी। फिर सरकार का सस्ते दर पर दवा देने के दावा चुनावी वायदा बन कर रह जायेगा।
ड्रग वेयरहाउस की जरूरत क्या है ?
जनपदीय अस्पतालों और सीएमओ के यहां दवाओं के भंडारण / वितरण के लिये सभी सुविधाओं से युक्त सीएमएसडी स्टोर अलग से स्थापित हैं , जहां से जिले भर की प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति होती रही है। जिला और महिला चिकित्सालय में भी अपना अलग से स्थापित है। दवाओं की आपूर्ति करने वाली फर्म से टेंडर एफ .ओ .आर. डेस्टिनेशन की शर्त पर होता है और मांग के अनुसार ,सम्बन्धित फर्म औषधियों की आपूर्ति जनपदों के चिकित्सालयों में करती रही हैं। लेकिन अब मेडिकल कारपोरेशन ने अलग से ड्रग वेयर हाउस स्थापित करने का निर्णय लिया है जो बगैर नियमों और मानकों को पूरा किये ही किया जा रहा है।
ड्रग वेयरहाउस के लिए क्या होना चाहिए मानक ड्रग वेयर हाउस के मानक के संबंध में औषधि एवं खाद्य विभाग के एक अफसर ने बताया कि
- ड्रग के भण्डारण एवं वितरण के लिए ड्रग लाइसेंस होना अनिवार्य है।
- वेयरहाउस की बिल्डिंग पक्की होनी चाहिए तथा छत उसकी लिंटर वाली होनी चाहिए एवं फर्श से ऊपर रैक होनी चाहिये।
- बिजली की समुचित व्यवस्था हो और दवाओं को उचित तापमान पर रखने के लिए एसी,डीप फ्रीजर ,एग्जास्ट फैन होना चाहिए ।
- फर्श पक्की होनी चाहिए और कर्मचारियों के लिए प्रसाधन आदि की व्यवस्था होनी चाहिए ।
- धूल भरे क्षेत्र में नहीं होना चाहिए ड्रग वेयर हाउस।
- आवागमन सुविधाजनक हो।
कमीशन के लिये जर्जर और टिन शेड में बना दिया ड्रग वेयर हाउस
करीब 3 महीने पहले मेडिकल कारपोरेशन ने जनपदों में वेयरहाउस स्थापित करना शुरू कर दिया था। जिले में चिकित्सालय सीएमओ ऑफिस से कई किमी दूर ,कमीशन की सेटिंग के आधार पर ड्रग वेयरहाउस भारी-भरकम किराए एक लाख से लेकर एक लाख पचास हजार रुपये तक का प्रति माह किराए के भवन का अनुबंध किया गया सूत्र बताते हैं कि इस अनुबंध के एवज में 20,000 से 25,000 रूपये तक प्रतिमाह कमीशन भी लिया जाता है।
अनुबंधित वेयर हाउस जर्जर हाल में,फिर भी अधिकारी हस्तगत करने का बना रहे दबाव
ड्रग वेयर हाउस कितने खस्ता हाल हैं और मानक पर कितने खरे उतर रहे हैं, कुछ जिलों की बानगी से आइये रूबरू होते हैं-
कानपुर देहात में वेयर हाउस मेन सड़क से 01 किलोमीटर अंदर है ,जिसमें 200 मीटर कच्चा रास्ता है जो बरसात में पानी से भर जाता है ।वेयरहाउस की छत टिन शेड की है जिसमें गर्मी में दवा और वैक्सीन खराब हो जाएंगे ।इलेक्ट्रिक वायरिंग नहीं है ,फिर एसी ,रेफ्रिजरेटर की कौन कहे एग्जास्ट फैन तक नहीं है।
2अब बदायूं जनपद में बने तक वेयरहाउस का हाल देखें
बदायूं में जिला महिला अस्पताल में वेयर हाउस था उसके बाद भी ₹1,05,000 प्रति महीने भर आंवले रोड पर ड्रगवेयरहाउस ले लिया गया, जिसमें भी भवन जर्जर है ,छत जगह-जगह से टूटी है बारिश में पानी टपकेगा। बिजली वायरिंग नहीं है। डिप फ्रीजर,ए सी, एग्जास्ट की व्यवस्था नहीं है ।फर्श भी टूटा हुआ है , लेकिन श्रुति मैडम के दबाव में अगस्त महीने से किराया भी दिया जा रहा है और 3-3 सिक्योरिटी गार्ड भी रख दिए गए हैं जिनका भुगतान हो रहा है।
3. कासगंज में जिला मुख्यालय से 27 किमी.दूर मानपुर नगरिया में वेयर हाउस बनाया गया है। ये वेयर हाउस भी टिन शेड के जर्जर भवन में Fci के गोदाम जैसा है।
प्रधान मंत्री के वाराणसी में बैरियांसापुर के वेयर हाउस का हाल और बुरा है ,देखें-डीवीडीएमएस पढे पत्र को
इसी तरह से बुलंदशहर जनपद में जहांगीराबाद और गौतम बुद्धनगर में दादरी में वेयर हाउस लिया गया है ।दोनों ही वेयरहाउस धूल भरी जगहों पर बने हैं और टिन शेड की छत के अंदर हैं जिसमें छेद भी हैं। और यह बिजली पानी भी नहीं है ।लेकिन निदेशक मैडम के डर से यहां दवाई भी रख दी गयी है।
कमोबेश सारे जिलों में यही हाल बना हुआ है किराया भारी-भरकम दिया जा रहा है
सूत्रों के अनुसार लखनऊ छोड़कर जनपदों में ड्रग लाइसेंस नहीं लिया गया है वैसे भी बिना मानक पूरे किये कर्मचारियों पर कारपोरेशन के अधिकारी दबाव बना रहे है ,वेयरहाउस हस्तगत करने के लिए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉरपोरेशन की निदेशक श्रुति सिंह का डर दिखा कर देकर मानक पूरे न होने की बात कहने पर ,कार्पोरेशन के क्वालिटी कन्ट्रोलर कहते हैं कि मैडम श्रुति सिंह का आदेश ना मांगे पर जानते हो क्या कार्रवाई हो सकती है।
जुगाड़ और अनुभवहीन फार्मेसिस्ट होंगे ड्रग वेयर हाउस प्रभारी
पहले जिलों में 20 वर्ष के अनुभव वाले चीफ फार्मेसिस्ट को ही स्टोर का प्रभारी बनाया जाता था लेकिन कारपोरेशन ने अनुभव को दरकिनार कर दिया है ।अब बिना अनुभव के जुगाड़ वाले फार्मेसिस्ट प्रभारी हो रहे हैं,ताकि कारपोरेशन की दुकानदारी चलती रहे।
रिटायर्ड अफसरों और आईएस के सहारे चल रहा मेडिकल कॉरपोरेशन करोड़ों की दवाओं के सैंपल फेल होने के बाद भी और उसकी वसूली न करने के बाद भी सरकार का कृपा पात्र बना हुआ है इन खेलों का मूल्यांकन किया तो करोड़ों रुपए के राजस्व छति सरकार को पहुंचाई जा चुकी है।क्यों स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य मंत्री कार्पोरेशन पर मेहरबान हैं,समझ से बाहर है।
कारपोरेशन,नकली और अधोमानक दवायें खिला रहा है,पढ़े अगले अंक में