Friday - 1 November 2024 - 2:36 PM

अतिथि तुम कब जाओगे

सुरेंद्र दुबे

आज से ठीक 10 साल पहले एक फिल्म आई थी, जिसका नाम था ‘अतिथि तुम कब जाओगे’। इस फिल्म के मुख्य कलाकार थे परेश रावल और अजय देवगन। फिल्म की पटकथा का सार था एक बिन बुलाये अतिथि का घर में आकर डेरा डाल देना, जिसके कारण अजय देवगन और उनकी पत्नी का इस अतिथि के कारण जीवन दूभर हो जाता है।

ये अतिथि थे परेश रावल जो तरह तरह से अपनी आव भगत कराकर मियां बीवी का जीवन हलकान किये हुए थे।इसलिए इस पूरी फिल्म मैं मियां बीवी मंन ही मंन ये पूछते रहते थे कि अतिथि तुम कब जाओगे।फिल्म जबर्दस्त हिट कॉमेडी फिल्म साबित हुई थी।

पूरी दुनिया इस समय कोरोना महामारी के कारण जबर्दस्त तनाव व उलझन की जिन्दगी जी रही है।इसका कारण है बिला बुलाये एक अतिथि का हमारी जिंदगी में आ जाना।इस अतिथि का नाम है कोविड -19। सुनते हैं कि ये चीन के रिश्तेदार है। इन्होंने पहले चीन में खूब उधम मचाया। फिर टूरिस्ट वीजा पर बगैर बताये यूरोप पहुंच गए।

 

यूरोप के लोग जब तक इस मेहमान को सीरियसली लेते तब तक इस मेहमान ने इन लोगों की बैंड बजा दी। इससे यह सीख मिलती है कि हर मेहमान को सीरियसली लेना चाहिये। यूरोप के बाद इस अतिथि ने अमेरिका में उत्पात मचाना शुरू कर दिया।

राष्ट्रपति ट्रम्प ने इनकी बड़ी खिल्ली उड़ाई थी इसलिये इस अतिथि ने वहां 53 हज़ार से अधिक लोगों को पटक पटक कर मारा। ट्रम्प साहब इस चक्कर में नमस्ते ट्रम्प भूल कर अब प्रणाम कोविड अंकल कहते हुए उससे पूछ रहे है कि अतिथि तुम कब जाओगे। अतिथि सुनने को तैयार नहीं। हो सकता है कि अतिथि उन्हें राष्ट्रपति का चुनाव हराने के बाद ही उनका पीछा छोड़े।

अब ये अतिथि हमारे यहां भी आ गया है। इसलिए हम इसे नाराज़ करने के बजाए मनाने में लगे हुए है। पूरे देश को घर में बैठने का हुक्म सुना दिया है। जो लोग नहीं मांन रहे, पुलिस उनसे सड़क पर उठा बैठक करा रही है। अतिथि को खुश करने के लिय हम कभी कभी इन लोगों को भूखे पेट और नंगे पांव सैकड़ों किलो मीटर दौड़ा भी देते हैं। पर अतिथि जाने का नाम ही नही ले रहा है।

 

हम जितना आवभगत कर रहे हैं यह उतना ही चौडियाता जा रहा है। पर अतिथि अन्य देशों की तुलना में हमें कम सता रहा है। इसलिए हम कोई सवाल नहीं पूछते। हमे बगैर सवाल पूछे रहने की आदत पड़ गयी है।

जब हमारे पास ही खाने को नहीं है तो हम इन कोविड साहब को कहां से खिलाएं।इनको लॉक डाउन की पूड़ी प्रर सोशल डिस टेंसिंग की खीर बनाके खिला रहे हैं।नीम और तुलसी का कढ़ा भी पिला रहे है।

हमारे बाबा राम देव भी इन्हें रिझाने में लगे हुए है। बाबा खुद मुद्रा कमाते है पर दूसरों को टी वीं पर मुद्रा सिखाते हैं। हो सकता है अतिथि इन मुद्राओं के कारण अपना बोरिया बिस्तर समेट ले।हमने सोचा था कि अतिथि को प्लाज़्मा डिश पसंद आ जायेगी।पर बुरा हो स्वास्थ्य मंत्रालय का जिसने हमारी आशाओं पर पानी फेर दिया है।

पर लगता है कि अतिथि कोई अच्छी गोली या टीका लगवाये बगैर जायेगा नहीं।गोली देने में तो हम लोग बहुत माहिर हैं।सो हम जल्द ही टीका पेश करने की गोली दिये जा रहे हैं। हमारे पास तो सिर्फ लॉक डाउन है सो पेश करते रहेंगे। अर्थ व्यवस्था की ज्यादा फिक्र नहीं हैं ।हम तो आधा पेट खाकर भी काम चला लेंगे। हमे वर्षों से भूखे रहने की आदत है। तुम अपनी सोचो।

है अतिथि हमने अपना हाल बता दिया है। बहुत हो गई चिरौरी। अब तो बता दो—अतिथि तुम कब जाओगे।

(लेखक स्‍वतंत्र पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com