-‘जियोमेट्रिक प्रोग्रेशन’ यानी पहाड़े की तरह है कोरोना संक्रमण
-कोरोना का जटिल गणित नहीं समझे तो जन और धन दोनों गँवा देंगे
-संक्रमण काबू करने के लिए जरूरी था पूर्ण लॉकडाउन बढ़ाना
राजीव ओझा
दुश्मन जितना धूर्त और घातक होता है उसे कुचलने के लिये उतना ही निष्ठुर और कठोर बनाना पड़ता है। इसलिए 21 दिन के लॉक डाउन के बाद 3 मई तक 19 दिन का लॉक डाउन बढ़ा दिया गया है। जैसे हालात हैं उसमें यही सर्वोत्तम उपाय है। जहाँ सख्ती के बीच बेहतर परिणाम दिखेंगे वहां 20 अप्रैल के बाद कुछ छूट सशर्त दी जा सकती है।
मतलब लॉक डाउन को किसी बिजली के स्विच की तरह ऑन-ऑफ नहीं किया जा सकता। कमबख्त कोरोना बहुत कोम्प्लिकेटेड है। इसे कंट्रोल करने के लिए जो लॉकडाउन किया गया है, उसे खोलना किसी ताले को चाभी से खोलने जैसा आसान नहीं है।
कोरोना का संक्रमण एक पहाड़े जैसा है। पहाड़ा समझते हैं न, अरे वही जिसे अंग्रेजी में टेबल कहते हैं। दो एक्कम दो, दो दूना चार, चार दूना आठ, आठ दूना सोलह, सोलह दूना बत्तीस। यह ज्यामितीय अनुक्रम (geometric progression) की तरह बढ़ता है। कोरोना संक्रमण को समझना है तो इस जियोमेट्रिक प्रोग्रेशन को अच्छी तरह समझ लीजिये। संक्रमण का ग्राफ जिस तरह चढ़ता है उसी तरह उतरेगा भी।
लेकिन अगर हम कुछ दिन तक आंशिक लॉक डाउन और फिर पूर्ण लॉक डाउन के चक्कर में फंस गए तो लाखों लोगों की जान गंवाने के साथ ही अर्थ व्यवस्था से भी हाथ धो बैठेंगे। अगर पूरा विश्व एकसाथ तालमेल से लॉक डाउन करता है तो पूरी दुनिया की जीडीपी में काफी गिरावट आ सकती है लेकिन ऐसा करने से लाखों लोगों की जान बच जाएगी।
अगर हम कोरोना संक्रमण की गणित समझ गए तो इसे हल करना आसान है और अगर नहीं समझ सके तो लाखों लोगों की जान गंवाने के साथ ही भयंकर आर्थिक मंदी भी झेलेंगे। हमें समझना होगा कि जियोमेट्रिक प्रोग्रेशन में छोटी सी संख्य बहुत कम समय में बहुत बड़ी हो जाती है।
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इसे भारत की एक नीतिकथा से समझा जा सकता है। एक राजा शतरंज के आविष्कारक को पुरस्कृत करना चाहता था। राजा ने पूछा उसे क्या इनाम चाहिए। आविष्कारक ने कहा, वह चाहता है कि आप गेहूं के दानों से पूरे शतरंज बोर्ड के सभी ब्लॉक्स को भरवा दें। पहले ब्लाक पर गेहूं का एक दाना, अगले ब्लाक पर 2 दाने, तीसरे पर 4 दाने, फिर अगले पर 8, 16, 32 और इस तरह पूरे शतरंज बोर्ड के हर ब्लॉक्स को भरवा दें। पहले राजा नाराज हुआ। उसे लगा आविष्कारक इतना जरा सा इनाम मांग कर मजाक कर रहा है।
लेकिन शतरंज का आविष्कारक गंभीर था। राजा ने अपने नौकरों से कहा कि वे शतरंज बोर्ड को जैसा आविष्कारक ने कहा उसी तरह भरें। नौकर वापस आए और राजा को बताया कि यह नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा करने में राजा का पूरा अन्न भंडार खत्म हो गया है और अभी भी अंतिम ब्लाक को भरने में उन्हें गेहूं के 9 ख़रब दानों की आवश्यकता होगी।
कोरोना वायरस के मामले में यही हुआ शुरू में दुनियाभर के देशों ने कोरोना संक्रमित लोगों की छोटी संख्या को हल्के में लिया। उन्हें इसकी अत्यंत खतरनाक संक्रमण शक्ति का अहसास नहीं था। अब चीन पर आंकड़े छिपाने का आरोप लग रहा है। लेकिन चीन में दो महीने में कोरोना से 80,000 संक्रमित हो गए। इन आंकड़ों को देखने के बावजूद, दुनिया के नेताओं ने कुछ नहीं किया।
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कोरोना मरीजों की संख्या में घातक बढ़ोतरी कब बंद होगी, यह पक्के तौर पर अभी नहीं बताया जा सकता। हां, लॉकडाउन के उपायों ने इस वृद्धि दर को कुछ धीमा जरूर कर दिया है। लेकिन एक चिंताजनक तथ्य है कि अभी भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
ऐसे में कोरोना संक्रमण दो स्थितियों में रुक सकता है। पहला, ऐसा कोई बचे ही न जिसे कभी संक्रमण न हुआ हो। दूसरा, संक्रमण की कड़ी को प्रभावशाली ढंग से तोड़ दिया जाये जिससे बचे हुए स्वस्थ लोगों में संक्रमण न हो।
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इसके लिए 4, 8 या 12 हफ्ते का सम्पूर्ण लॉक डाउन या आइसोलेशन जरूरी है। चीन ने इसी तरह कोरोन को काबू में किया है। तय हमको करना है कि हम पैसा गंवा कर जान बचाना चाहते हैं या पैसा कमाने के चक्कर में जान और पैसा दोनों गंवाना चाहते।
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Jubilee Post उत्तरदायी नहीं है।)