जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले महीने कोरोना की वजह से उत्तर प्रदेश खूब चर्चा में रहा। अस्पतालों, श्मसानों और कब्रिस्तानों के बाहर लंबी कतारें चर्चा में रही।
पिछले साल कोरोना प्रबंधन को लेकर योगी सरकार की जितनी वाहवाही हुई इस बार अव्यवस्था को लेकर उतनी छीछालेदर हुई।
सरकारी आंकड़ों की माने तो उत्तर प्रदेश में स्थिति अब सुधरने लगी है। यूपी में पिछले 24 घंटे में 28,076 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं तो वहीं एक दिन में सबसे ज्यादा 357 लोगों ने कोरोना संक्रमण से जान गंवाई है।
फिलहाल कोरोना महामारी की स्थिति की निगरानी करने वाले सरकारी अधिकारी और विशेषज्ञों का दावा है कि यूपी में कोरोना की दूसरी लहर की पीक जा चुकी है।
चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार-2 ने कहा, ‘पिछले 24 घंटों में दर्ज किए गए नए मामलों की संख्या 28,076 है जो कि पीक 38,055 से लगभग 10,000 कम है।’
आलोक कुमार ने कहा कि प्रदेश में सक्रिय मामलों की संख्या भी 2.5 लाख हो गई है, जबकि सक्रिय मामलों का पीक 3.1 लाख था।’
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी, सामाजिक वैज्ञानिक और महामारी विज्ञानी आरती कुमार ने कहा- देखिए ‘पीक’ की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है। इसे महामारी के सबसे उच्चतम बिंदु के तौर पर देखा जाता है जहां पहुंचने के बाद वायरस के मामले कम होना शुरू करते हैं। यह शार्प या स्मूथ नहीं हो सकता है। यह पीक के छोटे और बड़े बिंदु हो सकते हैं।
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कोविड-19 के संदर्भ में, दुनिया भर के डाटा विश्लेषक और सांख्यिकीय मॉडलिंग विशेषज्ञ एक महामारी के पीक का निर्धारण करने के लिए उपकरण के तौर पर नए और सक्रिय मामलों का उपयोग करते हैं। इन दोनों की संख्या में आने वाली गिरावट को उस संकेतक के तौर पर देखा जाता है कि पीक निकल चुका है। अधिकारियों के अनुसार डाटा ऐसा ही संकेत देता है।
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मालूम हो यूपी में 24 अप्रैल को कोरोना के सबसे ज्यादा 38,055 नए मामले सामने आए थे और तब से मामलों में गिरावट आ रही है। इसी तरह राज्य में 30 अप्रैल को रिकॉर्ड 3,10,783 सक्रिय मामले दर्ज किए गए थे।
लेकिन इसके बाद से इसमें कमी होती दिख रही है। पॉजिटिविटी रेट (सकारात्मक दर) या जांच किए गए लोगों में मिले पॉजिटिव की संख्या यह दिखाने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है कि पीक जा चुकी है।
वहीं कोरोना महामारी के पैटर्न की निगरानी कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सचिव आलोक कुमार-3 ने इस ट्रेंड को स्वीकार करते हुए कहा, ‘पिछले डेढ़ हफ्ते में राज्य के सीपीआर में लगभग पांच प्रतिशत की कमी आई है जोकि एक अच्छा संकेत है।’
अधिकारियों के अनुसार, राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े इस बात को साबित करते हैं। उत्तर प्रदेश का सीपीआर नीचे चला गया है। 21-27 अप्रैल के बीच ये जहां 24.1 प्रतिशत था, वहीं 28 अप्रैल से चार मई के बीच यह 18.8 प्रतिशत रहा।
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फिलहाल इस ट्रेंड को देखने के लिए निजी प्रयोगशालाओं के सीपीआर का भी उपयोग किया जा सकता है। लखनऊ में एक पायलट मूल्यांकन ने संकेत दिया है कि निजी प्रयोगशालाओं में सीपीआर अप्रैल के मध्य में लगभग 76 प्रतिशत से घटकर अब 38 प्रतिशत हो गया है।
इसके अलावा लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और प्रयागराज जैसे जिलों में जहां वायरस ने केस बरपाया, वहां भी पॉजिटिविटी कम हो गई है।