रजनीश पाण्डेय
आपने बहुत से गैंग का नाम सुना होगा,जैसे जातिवादी गैंग, माफियाओं का गैंग ,बुद्धिजीवी गैंग, राष्ट्रवादी गैंग ,वामपंथी गैंग ,आर्टिस्ट गैंग,चोर-उच्चका गैंग, बेरोजगारों का गैंग और तो और एक बार देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने खान मार्केट वाले गैंग की चर्चा अपनी जुबान से कर दिए थे..
तब से सबके मन मे खास कर जो उनके आलोचक थे, उस गैंग में सीट पाने के ललक से जुगाड़ लगाने में भिड़ गए..खास कर यूपी और बिहार वाले बुद्धिजीवी…लेकिन आज इन सब गैंगों से हटकर एक नए अवतरित हुवे गैंग “धन्यवाद गैंग ” की चर्चा होगी।
अब आप सोचेंगे की देश इतने गैंगों से परेशान है फिर यह एक नई आफत “धन्यवाद गैंग “क्यो ?इसको इस कोरोना काल मे अवतरित होने की जरूरत क्यो आ पड़ी ?सवाल भी आप का सही है ,क्यो की कोई सवाल निरुत्तर नही होता उसका जबाब जरूर होता है। एक छोटा भाई राष्ट्रवादी पार्टी के छात्र विंग की इकाई में सक्रिय भूमिका अदा करता है ।
अपने जिले में जब उसने स्वास्थ्य सेवा की बदहाली को देखा तो उसका मन दुखी हुआ। खास कर कोविड सेंटरों का जहां कोरोना पीड़ित मरीज रखे गए है…उस जिले के लोगो की इस खराब व्यवस्था पर कोई खास प्रतिक्रिया नही आयी… हाँ यह बात जरूर है कि हर एक बात पर बागी- क्रांति की चर्चा वो लोग जरूर कर लेते है ।
जब उम्मीद से हटकर उसे प्रतिक्रिया मिली तो उसने गुस्से में ललकार कर लिखा यह “धन्यवाद गैंग” वाले कहां चले गए…बस यही इसे इस गैंग की उत्त्पति होती है, या यह कह लीजिए इस गैंग का अवतार हुआ। यह वह गैंग है जो किसी भी नेता, मंत्री, अधिकारी सांसद के दो कौड़ी के काम पर भी धन्यवाद देना नही भूलता है। भले ही घर की दवा लेना भूल जाय।
कबीर का दोहा आप लोग जरूर पढ़ें होंगे…निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
लेकिन कौन अपने साथ आलोचक रखना चाहता है ?सबको “धन्यवाद गैंग “की जरूरत है क्यो की उनको भी वही गैंग अच्छा लगता है ।
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यह केवल हाल राजनीति में ही नही हरेक जगह है मीडिया से लेकर नौकरशाही में भी….सबको धन्यवाद गैंग चाहिए और यही कारण है कि लगातार दिन दोगुना रात चौगुना के हिसाब से इस गैंग की संख्या बढ़ रही है…और लगे हाथ आप लोगो से भी सिफारिश है कि किसी पुराने गैंग में शामिल है तो वहां से बिन बताये धन्यवाद गैंग में शामिल हो जाये या नया इस नाम से गैंग ही बना लीजिए….भविष्य आपका उज्ज्वल रहेगा…
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)