Monday - 28 October 2024 - 6:24 AM

कोरोना : भारत में असरकारी होगा रेमडेसिवियर?

न्यूज डेस्क

कोरोना से जंग में रेमडेसिवियर को बड़ा हथियार माना जा रहा है। अमेरिका में 1063 मरीजों पर इसका ट्रायल किया गया और इसके इस्तेमाल करने के बाद पाया गया कि यह वायरस को रोकने में असरदार है। इस सफलता के बाद दूसरे देश भी रेमडेसिवियर को आशा भरी नजरों से देख रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि इसका इस्तेमाल कर कोरोना को मात देंगे।

अमरीकी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्सियस डिजीज (NIAID) के डायरेक्टर एंथोनी फाउची ने कहा है,”आंकड़े के मुताबिक रेमडेसिवियर का साफ तौर पर मरीजों के ऊपर सकारात्मक असर दिख रहा है।”

फाउची ने इसकी तुलना 1980 के दशक में एचआईवी के खिलाफ रेट्रोवायरल की कामयाबी से की। अमरीकी फूड एंड ड्रग एडिमिनिस्ट्रेशन ने इसकी इमर्जेंसी की हालत में इस्तेमाल की अनुमति दे दी है।

इस दवा को अमरीकी दवा कंपनी गिलिएड ने बनाया है। यह दवा के इलाज के लिए बनाई गई थी।

हालांकि चीन में रेमडेसिवियर ट्रायल के दौरान फेल हो गई थी। इससे पहले भी रेमडेसिवियर कई बार ट्रायल में फेल हो चुकी है। फिर सवाल उठता है कि आखिर यह कोविड-19 के खिलाफ असरदायी कैसे है?

लोगों को अब ऐसा लगता है कि दुनिया को आखिर कोविड-19 की इलाज की दवा मिल गई है लेकिन अभी भी यह जन सामान्य के लेने के लिए नहीं है। यह दवा अस्पताल में भर्ती मरीज को ही दी जा सकती है।

यह भी पढ़ें : नौकरियां बचानी हैं तो तुरंत खोलनी चाहिए अर्थव्यवस्था  

यह भी पढ़ें :  किम जोंग उन के बाद उत्तर कोरिया का मुखिया कौन ?

अगर अमरीका में इस दवाई को देने की अनुमति दे दी गई है तो क्या भारत भी कोरोना के मरीजों में इसके इस्तेमाल पर विचार करेगा?

भारत के कोरोना मरीजों में रेमडेसिवियर के इस्तेमाल पर जाने-माने वैज्ञानिक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के पूर्व महानिदेशक डॉ निर्मल गांगुली का कहना है कि ”रेमडेसिवियर के शुरुआती ट्रायल में दिखा है कि यह दवाई कोरोनो संक्रमितों की रिकवरी अवधि 15 दिनों से 11 दिन कर दे रही है। जैसा कि एन्फ्लुएंजा की दवाई में भी होता है। ज़ाहिर है कि बहुत असरदार नहीं है लेकिन रिकवरी में मदद मिल रही है।

यह भी पढ़ें : 20 दिनों बाद नजर आए किम जोंग उन

वह कहते हैं, NIAID के ट्रायल में रेमडेसिवियर मरीजों को पांच और दस दिनों तक दी गई। जिन्हें यह दवाई दी गई उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ी। पहला डोज 200 एमजी और फिर एक दिन में 100 एमजी दी गई। यह मरीजों में नस के जरिए दी गई।

विस्तार में बताते हुए डॉ गांगुली कहते हैं-मरीजों के एक समूह को पांच दिनों के लिए दी गई और दूसरे समूह को 10 दिनों के लिए। जिन मरीजों के रेमडेसिवियर दी गई उनमें से बड़ी संख्या में लोगों को वेंटिलेटर सपोर्ट की ज़रूरत नहीं पड़ी। स्पष्ट है कि अस्पताल में मरीजों को कम दिन रहना पड़ेगा। जिन्हें यह दवाई दी जाएगी वो 10 से 14 दिनों में डिस्चार्ज हो जाएंगे।

गांगुली कहते हैं कि गिलिएड साइंस की योजना है कि वो इसका ट्रायल दुनिया के कई देशों में बढ़ाए। भारत को भी इस पर विचार करना चाहिए। इससे पहले भी भारत ने लाखों लोगों की जान न केवल अपनी आबादी बल्कि दूसरे देशों में भी सस्ती और प्रभावी एंटी-रेट्रोवायरल दवाई देकर बचाई है।

यह भी पढ़ें :   कोरोना वायरस से कैसे मुकाबला कर रहा है नेपाल

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com