न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया कराह रही है। कोरोना वायरस ने कई देशों की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। कोरोना से फाइट वहीं देश कर पा रहे हैं जिसकी स्वास्थ्य सेवाएं अ’छी हैं। जिन देशों में स्वास्थ्य सेवाएं खराब स्थिति में हैं उनको लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है कि ये कोरोना वायरस का मुकाबला कैसे करेंगे। यह चिंता खासकर दक्षिण अफ्रीकी देशों के लिए हैं क्योंकि इन देशों की स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहद खराब तस्वीर सामने आ रही है।
कोरोना महामारी से मुकाबला करने के लिए मास्क, ग्लब्स, पीपीई के अलावा वेंटीलेटर अहम माना जा रहा है। इस समय वेटींलेटर की मांग जोरों पर हैं। अधिकांश अमीर देशों ने कोरोना से लडऩे के लिए अपने यहां वेंटीलेटर की संख्या को बढ़ाया है। कोरोना के मरीजों को बचाने में ये वेंटीलेटर अहम भूमिका निभा रहे हैं।
किन देशों के पास कितने वेंटिलेंटर्स हैं यह जानने के पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि यह क्यों जरूरी है। जब बीमारी के कारण फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं तो वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। वेंटिलेटर शरीर के ऑक्सीजन लेने की प्रक्रिया के बदले काम करता है और इस तरह से मरीज को इंफेक्शन से लड़ने के लिए वक्त मिलता है और वह ठीक हो जाता है।
पूरी दुनिया में इस समय सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज अमेरिका में हैं। जॉन्स हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक अमेरिका में अस्पतालों को इस महामारी के समय में कम से कम 5 लाख के करीब अतिरिक्त वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ सकती है। अमेरिका में इस समय अस्पतालों के आईसीयू में वेंटिलेटर्स की मांग बहुत अधिक हो गई है। वहीं ब्रिटेन जैसे विकसित देश के पास करीब 10,000 वेंटिलेंटर्स हैं। यहां की सरकार दूसरे स्रोतों से मशीन खरीद रही हैं साथ ही देश में वेंटिलेटर का उत्पादन भी बढ़ाया जा रहा है।
यदि यूरोपीय देशों की बात की जाए तो कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश इटली ने प्रभावित क्षेत्रों को 2,700 वेंटिलेटर्स बांटे हैं। वहीं फ्रांस ने कहा है कि उसका लक्ष्य 10,000 अतिरिक्त वेंटिलेटर्स बनाने का है। जर्मनी ने अप्रैल महीने में स्पेन को 50 और ब्रिटेन को 60 वेंटिलेटर्स भेजा हैं।
भारत में भी कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। हर दिन सैकड़ों की संख्या में कोरोना मरीज मिल रहे हैं। भारत के लिए मई का महीना बेहद अहम साबित होने वाला है। कुछ रिसर्च रिपोर्ट की माने तो मई मध्य तक भारत में कोरोना से बुरे हालात हो सकते हैं।
रिसर्च में अनुमान जताया गया है कि देश में मई के मध्य तक बुरे हालात पैदा हो सकते हैं और संक्रमण से मरने वालों की संख्या मौजूदा 681 के आंकड़े से बढ़कई 38,220 तक पहुंच सकती है। वहीं संक्रमितों की संख्या &0 लाख के करीब पहुंचने के आसार हैं। ऐसे में भारत को ज्यादा वेंटीलेटर की जरूरत पड़ने वाली हैं।
ज़्यादातर लोगों का अनुमान है कि भारत में इस समय केवल 48 हजार वेंटिलेटर मौजूद हैं। हालांकि, किसी को पक्के तौर पर ये नहीं मालूम कि सांस लेने में मदद करने वाली इन मशीनों में से कितनी ठीक से काम कर रही हैं। लेकिन, माना यही जा रहा है कि भारत में जो भी वेंटिलेटर उपलब्ध हैं, उनका इस्तेमाल आईसीयू में पहले से भर्ती अन्य बीमारियों के रोगियों के इलाज में हो रहा है।
दक्षिण अफ्रीकी देशों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहद खराब स्थिति में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 41 अफ्रीकी देशों के पास दो हजार से भी कम वेंटिलेटर्स हैं जो काम के लायक हैं। इन देशों में डॉक्टरों की कमी भी अहम समस्या हैं। आइये जानते हैं किन देशों के पास कितने वेंटीलेटर हैं।
दक्षिणी सूडान
इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी के आंकड़ों के अनुसार दक्षिणी सूडान की 1.2 करोड़ की आबादी के लिए सिर्फ चार वेंटिलेटर्स हैं। देश में इंटेंसिव केयर यूनिट या आईसीयू के 24 बेड्स हैं और &0 लाख लोगों के लिए एक वेंटिलेटर।
बुर्किना फासो
बुर्किना फासो की बात की जाए तो यहां की हालत भी कुछ खास अ’छी नहीं है। करीब एक करोड़ 95 लाख की आबादी वाले इस देश के पास सिर्फ 11 वेंटिलेटर्स हैं।
सिएरा लियोन
सिएरा लियोन दुनिया के सबसे गरीब देशों में एक है। लगभग 79 लाख आबादी वाले इस देश की स्वास्थ्य व्यवस्था भी बहुत ढीली है। यहां पूरी आबादी के लिए मात्र 1& वेंटिलेटर्स मौजूद हैं।
सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक
सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक देश गरीबी और संघर्ष से घिरा है। इस देश के पास केवल तीन वेंटिलेटर्स हैं। यह दुनिया के उन देशों में शामिल हैं जहां स्कूल नहीं जाने वाले ब’चों की संख्या भी सबसे ज्यादा है।
वेनेजुएला
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पांच व्यक्तियों में से एक को वायरस की चपेट में आने पर अस्पताल में दाखिल करना पड़ता है। वेनेजुएला के पास 3.2 करोड़ की आबादी के लिए 84 आईसीयू बेड्स हैं और यहां 90 प्रतिशत अस्पताल के पास दवाओं और जरूरी चीजों की किल्लत है।
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