Monday - 28 October 2024 - 10:27 PM

कोरोना वायरस : बिहार में मरीज भगवान भरोसे

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी का असर अब देश में दिखने लगा है। हर दिन बढ़ते मरीजों की संख्या से स्थिति नाजुक होती जा रही है। अस्पतालों में बेड फुल है और सरकार द्वारा बनाए गए क्वारनटाइन सेंटरों में बदइंतजामी मरीजों की परेशानी बढ़ाने का काम कर रही है। बिहार में तो कारोना ने हाहाकार मचा रखा है।

द लैसेंट की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 640 जिलों में से 627 कोरोना की जद में हैं। अगर उन जिलों की बात करें जहां कोरोना वायरस का खतरा सबसे अधिक है तो वो हैं मध्य प्रदेश का सतना जिला और बिहार का खगरिया जिला। बिहार का खगरिया ही नहीं बल्कि कई जिलों मे कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है।

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बिहार से आए दिन लापरवाही की खबरें सामने आ रही है। कहीं टेस्टिंग नहीं हो रही है तो कहीं एंबुलेंस नहीं मिल रहा है।

बिहार के भागलपुर में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड में मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से मैनपावर की कमी आ गई है जिसकी वजह से लापरवाही की खूब शिकायते आ रही हैं। वहीं मायागंज में 800 बिस्तरों वाला हॉस्पिटल इन दिनों गंभीर तनाव में है। ये हॉस्पिटल कई पूर्वी जिलों को कवर करने वाले बिहार के चार समर्पित कोविड-19 हॉस्पिटलों में से एक है।

भागलपुर पूरे राज्य में सबसे अधिक कोरोना मरीजों वाले जिलों की सूची में दूसरे पायदान पर है। जिले में संक्रमितों की संख्या 1601 हो चुकी है, इनमें 16 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों का कहना है कि यहां कोई किसी को देखने वाला नहीं है। चार दिन पहले आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराए गए 60 वर्षीय बुजुर्ग मरीज के बेटे का कहना है कि वो सिर्फ ताला लगाते हैं और मरीजों को ऐसे ही छोड़ देते हैं। वहां कोई निगरानी नहीं हो रही है। मरीजों के रिश्तेदार फर्श पर सोने को मजबूर हैं।

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हमने उन्हें आईसीयू में शिफ्ट करा दिया मगर वहां भी बहुत कम देखभाल की जा रही है। शौचालय बहुत गंदा है और बमुश्किल साफ किया जाता है। मैंने देखा कि एक महिला नर्सों को बता रही थी कि ऑक्सीजन सिलिंडरों की जरुरत थी। मगर उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया।

बिहार में टेस्टिंग पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं। मरीजों के परिजनों के मुताबिक ‘टेस्टिंग कराने के लिए दूसरों को 12 घंटे तक का इंतजार करना पड़ता है। कई लोग तो वापस चले जाते हैं। बहुत से लोग तो वापस चले जाते हैं। फिर दूसरे दिन वहीं सिलसिला शुरु होता है।

मरीजों की ठीक से देखभाल न होने के कारण मरीजों के परिजन जान जोखिम में डालकर अस्पताल में आ रहे हैं। एक मरीज के बेटे ने कहा कि मैं आना नहीं चाहता मगर मुझे डर है कि मेरे पिता को कोई देखभाल नहीं होगी।

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