न्यूज डेस्क
देश में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए शोध संस्थान तरह तरह के शोध में लगे हुए हैं। कई संस्थानों ने तो इस वायरस की जाँच किट बनाने में सफलता भी हासिल की है। इस कड़ी में अब यूपी का जिला नोएडा पूरे देश के लिए मददगार बनने की राह पर है। न्यूलाइफ कंसल्टेंट एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शहर में एक लाख रैपिड एंटीबॉडीज टेस्ट किट रोजाना तैयार करेगी।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की ओर से अनुमति मिलने के बाद कंपनी की नोएडा सेक्टर-7 स्थित तीन लैब में इसका उत्पादन भी शुरू हो चुका है। इसके पहले चरण में कंपनी ने उप्र सरकार को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के माध्यम से 200 किट उपलब्ध कराई हैं।
बनी देश की पहली कंपनी
इस टेस्ट किट के माध्यम से कोरोना संक्रमित व संदिग्धों की जांच रिपोर्ट कम से कम पांच और अधिकतम 15 मिनट में आ जाएगी। खास बात ये है कि इसका खर्च भी 500 से 600 रुपये के बीच होगा। ऐसा करने वाली देश की पहली कंपनी बन गई है, जो कोरोना के लिए रैपिड एंटीबॉडीज टेस्ट किट का निर्माण शुरू कर रही है।
जाहिर है कि अभी तक कोरोना संक्रमित की जांच के लिए अस्पताल केवल रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेस चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर टेस्ट) किट पर आश्रित है, इस किट में डॉक्टरों को इस बात की जानकारी हासिल करनी पड़ रही है कि व्यक्ति में कोरोना वायरस मौजूद है या नहीं।
रोजाना बनेगी एक लाख किट
इस कंपनी की तीन लैब नोएडा सेक्टर-7 स्थित डी-5, डी-18, डी-22 में मौजूद है। हर लैब में शारीरिक दूरी के साथ 45 से 50 कर्मचारियों की जरूरत है। इसके लिए शासन व प्रशासन से बात कर सहयोग मांगा गया है।
अनुमति मिलते ही अगले सप्ताह से रोज एक लाख किट का निर्माण शुरू हो जाएगा। इसमें डॉ. शालिनी शर्मा, डॉ. शीलू, डॉ. अफीफा, डॉ. जहीर अहमद और डॉ. अब्बास की टीम काम कर रही है।
वहीं, न्यूलाइफ कंसल्टेंट एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्रा. लि. के निदेशक नदीम रहमान का कहना है कि रैपिड एंटीबॉडीज टेस्ट किट को परीक्षण के लिए नौ अप्रैल को पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल भेजा गया था। टेस्ट किट के पास होने के बाद आइसीएमआर ने इसके निर्माण की अनुमति दे दी है।
जबकि जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त अनिल कुमार का कहना है कि सरकार के निर्देश मिलने के बाद अथक प्रयास से इस किट का नोएडा में निर्माण शुरू कराने में सहायता मिली है। इस मामलें में विभाग के प्रमुख सचिव का विशेष योगदान है।