न्यूज़ डेस्क
दूसरे राज्यों से पलायन कर रहे मजदूरों से केंद्र सरकार द्वारा रेल किराया वसूलने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने एक बड़ा फैसला लिया है। दरअसल कांग्रेस पार्टी ने सभी जरूरतमंद मजदूरों के रेल टिकट का खर्चा उठाने का फैसला किया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने ये फैसला लिया है।
कोरोना वायरस के संक्रमण बढ़ने की वजह से देशभर में लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही सरकार ने शुक्रवार से प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य तक पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई हैं। इसके लिए रेलवे ने सर्कुलर भी जारी किया है।
उस सर्कुलर के अनुसार, स्थानीय सरकारी अधिकारी अपने द्वारा क्लियर किए गए मजदूरों को टिकट सौंपेंगे।उनसे टिकट का किराया वसूल करेंगे और कुल राशि रेलवे को सौंप देंगे। इसी की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने मजदूरों के लिए बड़ा ऐलान किया है।
कांग्रेस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल की तरफ से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का बयान ट्वीट किया है। इसमें कहा गया है, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च उठाएगी।’
इसके अलावा सोनिया गांधी ने सवाल किया कि जब रेल मंत्रालय ‘पीएम केयर्स फंड’ में 151 करोड़ रुपये का योगदान दे सकता है, तो श्रमिकों को बिना किराये के यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकता?
कांग्रेस अध्यक्षा, श्रीमती सोनिया गांधी का बयान
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी। pic.twitter.com/DWo3VZtns0
— Congress (@INCIndia) May 4, 2020
उन्होंने कहा, ‘श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं। उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार अपने घर वापस नहीं लौट सके।’
सोनिया ने कहा, ‘इन मजदूरों की व्यथा के बारे में सोचकर ही हर मन कांप उठता है और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी। पर देश और सरकार का कर्तव्य क्या है?’
कांग्रेस अध्यक्ष के अनुसार, 1947 के बंटवारे के बाद से ऐसा पहली बार दिल दहलाने वाला मंजर आया है कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। उनके पास न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, नहीं हैं लेकिन सिर्फ अपने गांव पहुंचने की लगन है।
दरअसल, राज्यों पर टिकट जारी करने और किराया वसूल करने की जिम्मेदारी के कारण, विपक्ष द्वारा शासित ज्यादातर राज्यों को सियासी नुकसान होने की आशंका है। इससे गैर-बीजेपी शासित राज्य मांग कर रहे हैं कि केंद्र इन प्रवासी श्रमिकों की यात्रा का खर्च उठाए।