न्यूज़ डेस्क
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। ऐसे में विभिन्न महानगरों में रहकर बसर करने वाले करीब दस लाख बुंदेली मजदूरों के सामने रोटी-रोजगार का संकट खड़ा हो गया है और वे अब बड़ी संख्या में घर वापसी कर रहे हैं, इससे बुंदेलखंड़ में कोरोनावायरस के संक्रमण के बढ़ने के आसार बढ़ गए हैं।
एक अनुमान के अनुसार, करीब दस लाख बुंदेली मजदूर दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे बड़े महानगरों में काफी समय से मजदूरी कर रहे हैं।
लेकिन लॉक डाउन के बाद से ये मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इनके सामने अब अपने परिवार को पालने और दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे स्तिथि में ये सभी अपने घर की तरफ रुख कर लिए हैं।
लॉक डाउन का आज आठवां दिन है। योगी सरकार ने सभी सीमाओं को सील कर दिया है लेकिन झांसी नगर में आज भी नेशनल हाईवे से दिल्ली एवं अन्य महानगरों की ओर से घर की ओर पलायन कर रहे मजदूरों एवं उनके परिजनों की कतार अभी टूटी नही है। हर दिन सुबह से शाम हो जाती है लेकिन राजमार्ग पर कतार सिलसिला लगातार जारी है।
ऐसे पलायन करने वाले मजदूरों को संस्था द्वारा संचालित कम्यूनिटी किचन के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। आज संस्था द्वारा श्रमिक बस्ती वार्ड नम्बर 31 के श्रमिकों को सम्पूर्ण लाॅकडाउन के उपरान्त कच्चा पक्का भोजन एवं स्वच्छता किट उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया।
इस अवसर पर परमार्थ संस्था के प्रमुख संजय सिंह ने कहा कि जितनी बडी तादात में मजदूरों का वापस घर की तरफ लौटना हो रहा है वह बुन्देलखण्ड के पलायन को बताता है। इससे यह पता चलता है कि बुन्देलखण्ड में आजीविका के संसाधन एवं कितने न्यूनतम है जिस कारण इतनी बडी तादात मेें लोगों को अपने घर से पलायन करना पडता है।
पलायन कर रहे मजदूरों की जिला प्रशासन एवं स्थानीय संस्थाओं के द्वारा जो सहायता करने का कार्य किया जा रहा है वह एक मिसाल बन गया है। इस अवसर पर परमार्थ कम्यूनिटी किचन के वाॅलिटिंयर जितेन्द्र यादव, अमित पटेल, राजेन्द्र यादव, केपेन्द्र राजपूत, राजेश कुमार ने भोजन वितरण किया।