न्यूज डेस्क
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज को तीन दिन तक चले ऑपरेशन के बाद पूरी तरह से खाली करा लिया गया है। इस दौरान मरकज से 2361 लोगों को बाहर निकाला गया है। इसमें से 617 लोगों के अंदर कोरोना के लक्षण मिले हैं, जिन्हें हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया है। इसके अलावा बाकी बचे लोगों को क्वारनटीन सेंटर ले जाया गया है। अब साइबर सेल इन 2361 लोगों के संपर्क में आए लोगों की शिनाख्त कर रहा है।
जमात के मरकज मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है। सूत्रों की माने तो मौलाना साद फोन का इस्तेमाल नहीं करता है। उसके दो घर हैं। एक निजामुद्दीन में और एक जाकिर नगर में। फिलहाल वो कहा है? ये अभी पुलिस को भी नहीं पता, लेकिन सूत्रों का मानना है कि उसने खुद को आइसोलेशन में रखा है।
दिल्ली के निजामुद्दीन के पास मौजूद मरकज को भीड़ से खाली कराना काफी मुश्किल भरा रहा। सरकार के निर्देश पुलिस की चेतावनी के बाद भी जमात किस कदर जिद पर अड़ा हुआ था, यह इस बात से सामने आता है कि आधी रात डोभाल को मनाने के लिए जाना पड़ा।
मरकज को लेकर खबर मिलने के बाद जब निजामुद्दीन मरकज के प्रमुख मौलाना साद ने बंगालीवाली मस्जिद को खाली करने के लिए दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की बात मानने से इनकार कर दिया, तो गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से मोर्चा संभालने को कहा। गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से आग्रह किया कि वह जमात को मस्जिद खाली करने के लिए राजी करें।
खबरों की माने तो, गृह मंत्री के आग्रह पर डोभाल 28-29 की दरम्यानी रात 2 बजे मरकज पहुंचे। गृह मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि डोभाल ने मौलाना साद को समझाया और वहां मौजूद लोगों का कोविड-19 टेस्ट कराने को कहा साथ ही लोगों को क्वारंटीन में रखने की बात भी कही।
शाह और डोभाल स्थिति के बारे में जानते थे क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों ने तेलंगाना के करीमनगर में नौ टेस्ट पॉजिटिव इंडोनेशियाई लोगों को 18 मार्च को मरकज से आने के बाद ट्रैक किया था। सुरक्षा एजेंसियों ने अगले दिन मरकज संक्रमण के बारे में सभी राज्य पुलिस और सहायक कार्यालयों को अलर्ट भेजा था।
जबकि मरकज ने 28 और 29 मार्च को 167 तब्लीगी कार्यकर्ताओं को अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति दी थी, लेकिन डोभाल के हस्तक्षेप के बाद ही जमात नेतृत्व ने मस्जिद की सफाई की। डोभाल ने पिछले दशकों में भारत और विदेशों में विभिन्न मुस्लिम आंदोलनों के साथ बहुत करीबी संबंध बनाए हैं। वह लगभग सभी मुस्लिम उलेमाओं को जानते हैं और देश के लिए राष्ट्रीय रणनीति बनाने के लिए उनके साथ समय बिताते हैं।
ऑपरेशन अब चरण 2 में चला गया है। इसमें सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि यह प्रयास उन सभी विदेशियों का पता लगाने के लिए है जो भारत में हैं, उन्हें चिकित्सकीय रूप से जांचा जाता है और फिर वीज़ा मानदंडों का उल्लंघन करने पर कड़ी नज़र रखी जाती है। दिल्ली में मार्का में 216 विदेशी नागरिक थे, लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में 800 से अधिक हैं।
इनमें से अधिकांश इंडोनेशिया, मलेशिया और बांग्लादेश के नागरिक हैं। जनवरी के बाद से गृह मंत्रालय ने कहा है, लगभग 2,000 विदेशियों ने मरकज मण्डली में भाग लिया है। प्रारंभिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि लगभग सभी ने अपने वीजा की शर्तों का उल्लंघन करते हुए पर्यटकों के लिए वीजा पर भारत में प्रवेश किया।