- ब्रिटेन में बच्चों और बुजुर्गों समेत 10,260 लोगों पर इस होगा वैक्सीन का ट्रायल
- ट्रायल सफल रहा तो साल के अंत तक दुनिया को मिल जायेगी वैक्सीन
न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी से पूरी दुनिया कराह रही है। तमाम कोशिशों और सर्तकता के बावजूद भी संक्रमण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इस महामारी के बीच एक सकारात्मक खबर यह है कि ब्रिटेन में कोरोना के इलाज के लिए जिस वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है अब वह दूसरे चरण में पहुंच गया है।
दूसरे चरण में वैक्सीन का ट्रायल इंसानों पर शुरू हो गया है। इस एक्सपेरिमेंट के सफल होने पर इसे 10 हजार से अधिक लोगों को लगाने की तैयारी की जा रही है। इस वैक्सीन के ट्रायल के 80 फीसदी सफल होने की उम्मीद भारत ने भी जताई है।
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पिछले महीने वैक्सीन का प्रभाव और सुरक्षा की जांच करने के लिए एक हजार से अधिक वॉलनटिअर्स पर इसका ट्रायल किया था। इसी कड़ी में शुक्रवार 22 मई को वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि अब उनकी प्लानिंग पूरे ब्रिटेन में बच्चों और बुजुर्गों समेत 10,260 लोगों पर इस वैक्सीन के ट्रायल की है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन विकसित करने की काम में लगी टीम को लीड कर रहे एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, ‘क्लिनिकल स्टडी बहुत बेहतर तरीके से आगे बढ़ रही है। हम इस बात की जांच करने जा रहे हैं कि बुजुर्गों में यह वैक्सीन कितनी असरदार होती है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या यह टीका पूरी आबादी को सुरक्षा मुहैया करा सकता है।’
कब तक दुनिया को मिलेगी वैक्सीन
वैक्सीन कब तक बनकर तैयार होगी इस पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। इस मामले में एंड्रयू पोलार्ड ने एक न्यूज वेबसाइट से कहा है कि वैक्सीन को लेकर अभी कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। पूरी तरह से सक्षम वैक्सीन कब तक बनकर तैयार हो जाएगी, इस पर भी उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि यह बताना काफी मुश्किल है कि कब तक वैक्सीन पूरी तरह से तैयार हो जाएगी और कब गारंटी के साथ कहा जा सकेगा कि वैक्सीन से महामारी की रोकथाम संभव है।
भारत की क्या है वैक्सीन से उम्मीदें
दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीइओ अदार पूनावाला ने कोरोना वायरस की वैक्सीन को तैयार होने में 2 साल का वक्त लगने की संभावना जताई है। पूनावाला ने कहा कि संभव है कि इस साल के आखिर तक भी वैक्सीन मिल जाए। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ यूके की वैक्सीन ट्रायल पर निर्भर करता है जो अब दूसरे चरण में पहुंच चुका है।
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पुणे स्थित एसआईआई इस वक्त यूके की ऑक्सफोर्ड, अमेरिका के कोडेजेनिक्स और ऑस्ट्रेलिया की बायोटेक फर्म थेमिस द्वारा विकसित की गई वैक्सीन कैंडिडेट्स पर काम कर रही है। पूनावाला ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन से सबसे ज्यादा उम्मीदें दिखाई है क्योंकि यह ट्रायल में सबसे आगे बताई जा रही है।
अमेरिका में भी हो रहा है वैक्सीन ट्रायल
कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने के दूसरे प्रमुख दावेदारों में अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मोडेर्ना इंक और इनवियो फार्मास्युटिकल है। दोनों टीकों में प्रयास किया जा रहा है कि कोरोना वायरस की जेनेटिक्स को शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाए ताकि वह एंडीबॉडी विकसित करें जो प्रतिरोधिक क्षमता के लिए जरूरी है।