कृष्णमोहन झा
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विगत दिनों बिहार विधान सभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी का जो चुनाव घोषणा पत्र जारी किया उसे ‘ 5सूत्र,1लक्ष्य,11संकल्प ‘ नाम दिया गया है। इन 11संकल्पों में सबसे पहला संकल्प यह है कि विधानसभा चुनावों के बाद पार्टी के पुन: सत्ता में आने पर राज्य के लोगों को कोरोना की वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध कराई जावेगी।
पार्टी के इस संकल्प को लेकर विपक्षी राजनीतिक दलों ने केवल भाजपा ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार पर भी निशाना साधने में कोई देर नहीं की। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा राज्य के मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त कोरोना वैक्सीन का प्रलोभन दे रही है।
अगर ऐसा नहीं है तो प्रधानमंत्री मोदी ने अभी तक एक भी बार यह क्यों नहीं कहा कि कोरोना की वैक्सीन तैयार होते ही देश के हर नागरिक को उपलब्ध कराई जाएगी।
विपक्षी दलों का यह अभियान जब और तेज होने लगा तो प्रधानमंत्री मोदी ने अंतत: इस मामले में केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया है। प्रधानमंत्री ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए साक्षात्कार यह साफ कर दिया है कि देश में जब भी कोरोना की वैक्सीन तैयार होगी तब देश के हर नागरिक को उपलब्ध कराई जावेगी लेकिन यह वैक्सीन सबसे पहले उन लोगों को लगाई जावेगी जिन्हें इसकी सबसे पहले जरूरत है।
ऐसे लोगों में अग्रिम पंक्ति के वे चिकित्सक, पेरामेडिकल स्टाफ के सदस्य और स्वास्थ्य कर्मचारी शामिल हैं जो अपनी जान जोखिम में डालकर रात दिन कोरोना संक्रमितों के इलाज में जुटे हुए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि देश के आखरी छोर पर मौजूद व्यक्ति तक कोरोना वैकंसीन पहुंचाने के लिए सरकार एक ऐसी योजना बना रही है जिसके तहत 28 हजार से अघिक चेन पाँइंट्स में कोरोना वैक्सीन को संग्रहीत कर रखा जायेगा।
प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद अब टीकाकरण को लेकर कोई भ्रम की स्थिति नहीं रहना चाहिए और अब उन विपक्षी दलों को भी प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए जो बिहार विधान सभा चुनावों के लिए जारी भाजपा घोषणा पत्र में शामिल उस संकल्प को ही चुनावी मुद्दा बनाने में जुट गए थे जिसमें बिहार विधान सभा चुनावों के बाद भाजपा के पुऩ:सत्ता में आने पर राज्य के लोगों को मुफ्त कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता कब तक संभव हो पाएगी इस बारे में अभी केवल अनुमाऩ ही लगाए जा सकते हैं। केंद्र सरकार भी अभी यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि निश्चित रूप से कब यह वैक्सीन सर्वसाधारण के लिए सुलभ हो जाएगी।
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पहले यह सुनने में आया था कि देश तके वैग्यानिकों को कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में इस साल के अंत तक सफलता मिल जाएगी फिर यह खबर आई कि अगले साल की पहली तिमाही के अंत तक कोरोना की वैक्सीन तैयार हो सकती है।
अभी फिर यह संभावना व्यक्त की जाने लगी है कि इसी साल के अंत तक देश में कोरोना वैक्सीन बन जाने की खुशखबरी मिल सकती है परंतु हमें यह बात अवश्य में रखना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता के समय के बारे में अभी तक कुछ भी नहीं कहा है यद्पि वे देश में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के बाद से अब तक सात बार राष्ट्र के नाम संदेश दे चुके हैं।
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हाल में ही जब उन्होंने राष्ट्र को संबोधित किया था तब भी उसमें यही कहा था कि कोरोना वैक्सीन तैयार हो जाने पर हर नागरिक को उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में तैयारियां जारी हैं। प्रधानमंत्री के इस कथन से यह भरोसा तो अवश्य होता है कि कोरोना संक्रमण से देश के हर नागरिक की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी का सरकार को पूरा अहसास है।
कोरोना से सुरक्षा हेतु देशवासियों को अनिवार्य ऐहतियाती उपायों के प्रति सचेत करने की मंशा से ही प्रधानमंत्री ने अब तक सात बार राष्ट्र को संबोधित किया है। इसके अलावा भी वे विभिन्न अवसरों पर लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जरूरी सावथानियों में कोई लापरवाही न बरतने की अपील करते रहे हैं।
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कुल मिलाकर सरकार ने कोरोना संकट की गंभीरता को कम करके आंकने की कोई कोशिश कभी नहीं की। यह कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना संकट पर पूरी तरह काबू पाने में सफलता मिले बिना मोदी सरकार चैन से बैठने वाली नहीं है।
गौरतलब है कि बिहार विधान सभा के लिए भाजपा के उक्त घोषणा पत्र के जारी होने के बाद कई विरोधी दलों ने भाजपा को घेरना प्रारंभ कर दिया था। राजद के मुख्य नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि कोरोना का टीका पूरे देश का है केवल भाजपा का नहीं।
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सपा नेता अखिलेश यादव ने पूछा कि भाजपा कोरोना का टीका बिहार के लोगों को मुफ्त लगवाएगी तो ऐसी ही घोषणा उत्तर प्रदेश और अन्य भाजपा शासित राज्यों के लिए क्यों नहीं की जाती।
उडीसा की बीजद सरकार के मंत्री आर पी स्वैन ने केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी से पूछा कि इस बारे में केंद्र सरकार की नीति क्या है और बिहार की जनता के लिए कोरोना की फ्री वैक्सीन के बाद उडीसा के बारे में भाजपा ने क्या तय किया है।
इसके बाद सारंगी का बयान आया कि केंद्र सरकार देश के सभी नागरिकों को कोरोना की वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध कराएगी। गौरतलब है कि प्रताप सारंगी गत वर्ष उडीसा से ही लोकसभा के लिए चुने गए थे।
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यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बिहार की जनता के लिए कोरोना की मुफ्त वैक्सीन के भाजपा के उक्त संकल्प के बाद मध्यप्रदेश के मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी घोषणा की थी कि राज्य में गरीबों को कोरोना की वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी।
उधर तमिलनाडु सरकार ने भी बिहार में भाजपा का घोषणापत्र जारी होने के कुछ ही घंटों के अंदर यह वैक्सीन राज्य की जनता कोमुफ्त उपलब्ध कराने की घोषणा कर दी।
बिहार के लिए भाजपा के उक्त संकल्प की घोषणा केबाद कई गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी उस पर केंद्र सरकार से सफाई मांगना शुरू कर दिया। इस पर बिहार भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव ने स्पष्टीकरण दिया कि मामूली लागत पर सभी भारतीयों को यह टीके उपलब्ध कराए जाएंगे। राज्य इसे फ्री कर सकते हैं। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा कि दूसरी राज्य सरकारें भी ऐसा फैसला कर सकती हैं।
कुल मिलाकर भाजपा नेताओं के कुछ अस्पष्ट बयानों के कारण ही विपक्षी दलों को भाजपा पर निशाना साधने का मौका मिल गया। परंतु सवाल यह उठता है कि जिस तरह बिहार में भाजपा के मुफ्त कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने की घोषणा के बाद तमिलनाडु सरकार ने भी अपने राज्य के लोगों को मुफ्त कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने की घोषणा की वैसी ही घोषणा यदि दूसरे राज्यों की सरकारें भी करें तो केंद्र को क्या ऐतराज हो सकता है।
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हर राज्य सरकार के लिए अपने प्रदेश के लोगों का स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता होना चाहिए। कोरोना की वैक्सीन तैयार करने के लिए कई देशों के वैग्यानिक पिछले कई माहों से अथक प्रयास कर रहे हैं परंतु कोई भी देश अभी यह दावा करने की स्थिति में नहीं है कि आगे आने वाले समय में किस माह तक उसे कोरोना की वैक्सीन बनाने में निश्चित रूप से सफलता मिल जाएगी।
ऐसे में अगर बिहार विधानसभा चुनावों में कोरोना की वैक्सीन भी एक मुद्दा बन जाए तो इस पर आश्चर्य ही व्यक्त किया जा सकता है। राज्य में सत्तारूढ गठबंधन के एक घटक भारतीय जनता पार्टी ने जब विगत दिनों जारी अपने घोषणा में राज्य के लोगों को कोरोना की वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध कराने के संकल्प को सर्वोपरि रखा तो वह सभी विरोधी दलों के निशाने पर आ गई।
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निश्चित रूप से भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में इस संकल्प को सर्वोपरि महत्व दिए जाने का मकसद मतदाताओं को आकर्षित करना ही है और अगर वह इन चुनावों के बाद सत्ता में वापसी करने में सफल होती है तो उसे इस संकल्प की पूर्ति सबसे पहले करने की जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी परंतु वह ऐसा तभी कर पाएगी जबकि उस समय तक कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में वैज्ञानिक सफल हो जाएं।
इसलिए अभी न तो कोरोना की वैक्सीन के संबंध में उसके संकल्प को लेकर उसे कठघरे मे खडा करने से विरोधी दलों का कोई प्रयोजन सिद्ध होगा और न ही इसे कोई चुनावी मुद्दा बनाने में किसी दल को कोई सफलता मिलेगी।
सीधी सी बात है कि अगर भाजपा सत्ता में वापसी करने में सफल हो भी जाती है और तब तक कोरोना की वैक्सीन तैयार नहीं हो पाती तो तो क्या अपने चुनाव घोषणा पत्र के बाकी संकल्पों को पूरा करने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं होगी ।
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निश्चित रूप से वह बाकी संकल्पों को पूर्ण करने की दिशा में कदम बढाएगी। भाजपा की भांति सत्ता में आने के आकांक्षी दूसरे राजनीतिक दलों को भी इन चुनावों में मतदाताओं से यह वादा करने का अधिकार है कि सत्ता में आने पर वे भी राज्य के लोगों को कोरोना की वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध कराएंगे।
जिस जानलेवा वायरस ने देश के एक लाख बीस हजार से अधिक लोगों को मौत की नींद सुला दिया हो और करीब 80 लाख लोगों को अपनी चपेट में ले लिया हो उससे बचाव के लिए तो हर राजनीतिक दल को जनता से मुफ्त वैक्सीन की उपलब्धता का वादा करना चाहिए।
(लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के राजनैतिक संपादक है)