Tuesday - 29 October 2024 - 6:11 AM

भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान और विभिन्न वैक्सीन का प्रभाव

डॉ. प्रशांत राय

भारत पिछले कुछ दिनों से कोरोना की मार से बेहाल है। चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल है। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर की कमी बनी हुई है। इसके अलावा कई जरूरी दवाइयां भी नहीं मिल रही है। कुल मिलाकर हालात बहुत नाजुक है।

विशेषज्ञों की माने तो इस हालात से निजात कोरोना का टीका ही दिला सकता है। इसलिए बीते कुछ दिनों में देश के जाने-माने डॉक्टरों ने भी कोरोना के टीकाकरण पर जोर दिया है।

भारत में टीकाकरण अभियान के पहले चरण की शुरुआत 16 जनवरी 2021 से हुई थी। पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों यानी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और स्वास्थ्य से जुड़े लोगों को वैक्सीन दी गई थी। साथ ही फ्रंटलाइन वर्कर्स यानी पुलिसकर्मियों, पैरामिलिट्री फोर्सेज और सैन्यकर्मियों को भी टीका लगाया गया। 20 लाख लोगों से अधिक को टीके की दूसरी डोज भी दी जा चुकी है।

विशेषज्ञों के अनुसार, वैक्सीन मृत्यु दर कम करने में मदद करेगी और ये बीमारी की गंभीरता को भी कम करेगी। साथ ही वैक्सीन से कोरोना संक्रमण के मामले भी कम होंगे। इसके जरिए कोरोना के नए स्ट्रेन से भी निपटा जा सकता है। जितना संक्रमण होगा, उतना ही नए स्ट्रेन को रोका जा सकेगा।

भारत में निर्मित दो भारतीय वैक्सीन का बाजार में सबसे पहले आना कोविड-19 की लड़ाई में सहभागिता के लिए एक शुभ संकेत है।
भारतीयों को कोविशिल्ड और कोवैक्सीन (आईसीएमआर भारत बायोटेक और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी) लगाई जा रही है। इसके अलावा जानसन एंड जानसन, फाईजर, ऑक्सफोर्ड आदि की वैक्सीन भारत में मंगाने की बात की जा रही है। उम्मीद है जल्द ही यह वैक्सीन भी आम भारतीयों के लिए उपलब्ध होगी।

किसी भी वैक्सीन की विश्वसनीयता एंटीबॉडी igg के आधार पर ही मानी जाती है। जिस तरह से संक्रमण होने के बाद हमारा शरीर प्राकृतिक रूप से एंटीबॉडी बनाता है, वैसे ही वैक्सीन ही एंटीबॉडी बनाती है।

अब को-वैक्सीन के दूसरे चरण के ट्रायल के नतीजे सामने आ गए हैं, जिसमें एंटीबॉडी टेस्ट किया गया है। इसके अनुसार जिन लोगों को वैक्सीन दी गई थी उनमें से 98 प्रतिशत व्यक्तियों के अंदर एंटीबॉडी आई है। यह दुनिया में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है क्योंकि अमेरिका की फाइजर ,मॉडर्ना, ब्रिटेन की एस्ट्रेजनेका से भी बेहतर है।

फिलहाल इस वायरस का यूके वेरिएंट जो इस समय भारत में तेजी से फैल रहा है काफी इनफेक्शियस है और उसको ही ध्यान में रखते हुए यूके में वैक्सीन को तैयार किया जा रहा है।

1. फाइजर / बायोएनटेक वैक्सीन

अमेरिका स्थित वैक्सीन डेवलपर- फाइजर और जर्मन स्टार्ट-अप बायोएनटेक ने घोषणा की कि उनके वैक्सीन में 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को COVID -19 होने से रोकने की क्षमता है। दवा निर्माताओं ने अपने mRNA आधारित covid-19 वैक्सीन के चरण -3 अध्ययन का निष्कर्ष निकाला है, फाइजर / बायोएनटेक वैक्सीन को लगभग -70 डिग्री सेल्सियस पर भंडारण की आवश्यकता होती है और इसकी दो खुराक की आवश्यकता होती है।

2. मॉडरना इंक

एक अन्य अमेरिकी कंपनी जिसने कोरोनोवायरस के खिलाफ टीके विकसित करने के लिए mRNA के समान दृष्टिकोण का उपयोग किया है, और दावा किया है कि इसका टीका 95 प्रतिशत प्रभावी है। इसका टीका प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को एक्टिवेट करने के लिए वायरस के आनुवंशिक कोड के हिस्से को इंजेक्ट किया जाता है ।

मॉडरना इंक वैक्सीन mRNA based को छह महीने तक 20 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत किया जा सकता है और इसका भी दो खुराक लेना है।

3. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी / एस्ट्राजेनेका वैक्सीन

ब्रिटिश-स्वीडिश दवा फर्म एस्ट्राजेनेका, mRNA आधारित, ने अपने टीके की प्रभावकारिता के बारे में तीन प्रकार के आंकड़ों की घोषणा की है। अंतरिम डेटा में 70 फीसदी सुरक्षा का सुझाव दिया गया था, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि खुराक को बढ़ाकर यह आंकड़ा 90 फीसदी तक हो सकता है। एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसार, पहली खुराक आधी होने पर और मानक दूसरी खुराक का सेवन करने पर उनके टीके उम्मीदवार 90 प्रतिशत प्रभावी थे। हालांकि, यह 62 प्रतिशत की प्रभावकारिता दिखाती है जब 28 दिनों के हिस्से में दो पूर्ण खुराक दी जाती है।

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4. जॉनसन एंड जॉनसन

जब जॉनसन एंड जॉनसन की सहायक कंपनी जॉनसन ने घोषणा की कि उसके कोविड -19 वैक्सीन 66 प्रतिशत रोगसूचक कोविड-19 मामलों को रोक सकते हैं। इसका भी मुख्य घटक एडिनोवायरस आधारित है जोकि कोरोना वायरस के विभिन्न मोटेशन के खिलाफ लड़ाई लडऩे में सक्षम है। यह एक तरह से स्पाई प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन है। इस वैक्सीन का खुराक एक है।

5. गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी

अगस्त में स्पुतनिक वी नामक कोरोनो वायरस वैक्सीन दर्ज करने वाला रूस दुनिया का पहला देश बन गया। यह टीका 11 अगस्त 2020 को रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पंजीकृत किया गया था। टीके को रूस में वितरण के लिए अनुमोदित किया गया था, दो महीने तक चलने वाले प्रारंभिक-चरण नैदानिक परीक्षणों में केवल कुछ ही लोगों में परीक्षण किया गया था। संस्थान ने सितंबर में चरण 1 और 2 के परिणाम प्रकाशित किए लेकिन अभी तक चरण 3 के परिणाम प्रकाशित नहीं हुए हैं। इस महीने की शुरुआत में, संस्थान ने घोषणा की कि टीका उम्मीदवार ने 91.4 प्रतिशत प्रभावकारिता दिखाई। इसका भंडारण -18 डिग्री सेल्सियस है।

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6. कोविशील्ड

भारत में, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोविशील्ड वैक्सीन विकसित करने के लिए एस्ट्राजेनेका के साथ सहयोग किया है, लेकिन इसमें mRNA की जगह एडिनोवायरस वेक्टर का उपयोग किया गया है।

इसमें करोना वायरस के छुपे हुए प्रोटींस को एक कैरियर की तरह यूज किया गया है जिससे कि आर कोरोना वायरस अपने आप में म्यूटेशन करता है तो उस स्टेशन के खिलाफ यह वैक्सीन एंटीबॉडी बनाना शुरु कर दें। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देश में अपने चरण 2 और 3 के नैदानिक परीक्षणों में प्रतिभागियों को वैक्सीन की दो पूर्ण खुराक दी है। इसकी भी खुराक दो बार की है

6.भारत बायोटेक कोवैक्सिन

भारत बायोटेक, कोवाक्सिन को ICMR – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के सहयोग से विकसित कर रहा है। SAR-Cov-2 के मुकाबले वैक्सीन 60 प्रतिशत प्रभावी होने की उम्मीद है जिसका भंडारण : 2-8 डिग्री सेल्सियस है। यह इनेक्टिव जीन पर आधारित वैक्सीन है जो कि म्यूटेटेड कोरोना वायरस के इस ट्रेन के खिलाफ काम करती है और यह भी mRNA  पर आधारित वैक्सीन है। (mRNA सारी इनफार्मेशन इकट्ठा  करके देता है जिससे कि डीएनए का रिप्लिकेट बनता है।)

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अलावा, हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक और अहमदाबाद स्थित जाइडस कैडिला दो अन्य प्रमुख फर्म हैं जो कोरोनोवायरस वैक्सीन के तीसरे चरण का नैदानिक परीक्षण कर रहे हैं।

जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आई थी पूरी दुनिया को उम्मीद थी कि वैक्सीन आने के बाद कोरोना से लोगों को निजात मिल जायेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं, बल्कि कोरोना और स्ट्रांग होकर हमारे बीच आकर तबाही मचा रहा है। फिलहाल वैक्सीन आज भी कोरोना को हराने में बड़ा हथियार है। इसलिए जरूरी है कि दुनिया के हर इंसान तक जल्द से जल्द कोरोना का टीका पहुंचे, तभी हम इस महामारी से निजात पा सकेंगे।

(डॉ. प्रशांत राय, सीनियर रिचर्सर हैं। वह देश-विदेश के कई जर्नल में नियमित लिखते हैं।) 

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