जुबिली न्यूज डेस्क
भारत में जिस तरह से कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे है उससे तो यही लग रहा है कि टीका आने तक स्थिति बहुत ही भयावह हो जायेगी। सरकार हालात नियंत्रण करने का कितना भी दावा करे लेकिन हालात नियंत्रण में नहीं दिख रहा।
कोरोना संक्रमण के मामले में भारत विश्व में तीसरे और मृत्यु के मामले में चौथे स्थान पर आ गया है। देश में भले ही मृत्युदर कई विकसित देशों से कम हो और रिकवरी को उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन बड़ी संख्या में रोजाना आ रहे मामले हालात को बेकाबू बना रहे हैं, जबकि इसके उलट राज्य और केंद्र सरकार आंकड़ों की बाजीगरी से यह दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि हालात नियंत्रण में है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने अपने विश्लेषण रिपोर्ट में बताया है कि भारत में 51 मामलों में औसतन एक मौत हो रही है लेकिन 127 जिलों में स्थिति राष्ट्रीय औसत से बुरी है।
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रिपोर्ट के मुताबिक 15 राज्यों में फैले इन 127 जिलों में कोरोना के मामलों और मृत्यु का अनुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है। महाराष्ट्र के चार, गुजरात के दो, मध्य प्रदेश के तीन और उत्तर प्रदेश के एक जिले में यह अनुपात सबसे खराब है।
गुजरात के अरावली और मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में कोरोना वायरस के 16 मामलों में एक मृत्यु हो रही है। यह सबसे खराब अनुपात है। अहमदाबाद में 17 मामलों में एक मृत्यु हो रही है जबकि महाराष्ट्र के मुंबई और मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में यह औसत 18 है।
हैरानी की बात यह है कि सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने जिलावार डाटा जारी नहीं किया है। इनमें दिल्ली, गोवा, तेलंगाना और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं।
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