न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पहचान चिकनकारी पर कोरोना की मार पड़ी है। पीक सीजन में ही कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन से कारोबारियों को करोड़ों की चपत लग चुकी है।
काफी माल कारीगरों के पास डंप पड़ा है तो कुछ कारोबारियों के यहां पर। भुगतान के संकट के चलते वे भुखमरी की कगार पर हैं। कारोबारियों का कहना है कि तैयार माल को लॉकडाउन के बाद सैनिटाइज कर लोगों को उसे खरीदने के लिए तैयार करना बड़ी चुनौती होगी।
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ऐसे में छोटे व्यापारियों एवं मध्यम उद्योगों की कमर टूट चुकी है। उनके सामने रोजी- रोटी का संकट आ गया है। आज इस दर्द को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने समझा और योगी सरकार से मांग की है कि इन व्यापारियों के लिए अलग से राहत पैकेज दें, साथ ही उन्होंने कहा कि मज़दूरों को भी सहायता दी जाय।
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प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा लखनऊ के चिकन उद्योग ने देश- विदेश में यूपी का नाम रोशन किया है। नोटबंदी और जीएसटी की मार झेल रहे चिकन उद्योग को इस बंदी के चलते भारी चोट लगी है। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार को चिकन उद्योग और ऐसे तमाम छोटे व मझोले उद्योगों के लिए तुरंत राहत पैकेज की घोषणा करें।
चिकन कारोबार में 80 फीसदी खरीदार तो पर्यटक होते हैं। जब यात्रा ही नहीं तो पर्यटक कहां से मिलेंगे। कारोबारी कहते हैं कि देश- दुनिया में जो हालात हैं, उससे लगता है इस वर्ष पर्यटक मिलेंगे ही नहीं। चिकन कारोबार को शून्य ही मान लेना चाहिए।
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क्या कहते है कारोबारी
चिकन कारोबारी सुरेश छबलानी का कहना है कि मार्च से मई तक सीजन पीक पर रहता है। मार्च में हमें घरेलू ग्राहक मिलते हैं। यहां से माल देश भर में जाता है। अप्रैल और मई में माल की डिलीवरी विदेशों में होती है। खासकर यूरोप के देशों में इस मौसम में चिकन की बहुत मांग रहती है। पूरा सीजन तो लॉकडाउन में ही निकल गया। आगे भी कोई उम्मीद नहीं है।
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चिकन कारोबारी गिरीश अग्रवाल का कहना है कि हमें कारीगरों को भुगतान करना होगा, नहीं तो हमारा माल असुरक्षित हो जाएगा। हम सब अनिश्चितता में हैं। सवाल यह भी है कि इतना फंड कहां है जो हम दें। कमाई तो इस साल शून्य मान लीजिए। कारीगर ही नहीं रहेगा तो उद्योग किसके भरोसे करेंगे।
चिकन कारोबारी संजीव की माने तो स्पेन, बांग्लादेश, अमेरिका, दुबई, श्रीलंका, यूरोप समेत दुनिया भर में चिकन लखनऊ से ही जाता है। बड़ी संख्या में आर्डर तैयार किए गए थे। सब डंप हो गया। लोग इसे लेंगे, इसमें भी संदेह है। लॉकडाउन खुलते ही ऑर्डर कैंसिल होने तय हैं। कुछ तो ऑनलाइन होने भी लगे हैं।
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