Monday - 28 October 2024 - 7:12 AM

कोरोना का दौर और मिट्टी के घड़े

जुबिली न्यूज़ डेस्क

लखनऊ। कोरोना वायरस की वजह से जहां एसी न चलाने की सलाह दी गयी है, वहीं फ्रिज के पानी से दूर रहने की मजबूरी है। आयुष विभाग भी गर्म पानी पीने की सलाह दे चुका है, ताकि इम्युनिटी सिस्टम मजबूत रहे। अब लोगो के पास प्यास बुझाने के लिए एक ही विकल्प है मिट्टी का घड़ा।

शायद यही वजह है की फ्रीज के जमाने में लोगों को गुजरे जमाने के मिट्टी के घड़ों याद आ गई है। चलिए ठीक भी है कम से कम कोरोना के ही बहाने मिट्टी के घड़े बनाने वाले कुम्हारो को थोड़ी रहत तो मिली।

ये भी पढ़े: ये ‘सन्देश’ खाकर बूस्ट करें अपनी इम्युनिटी

ये भी पढ़े: आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास; नाम है केजरीवाल

मिट्टी के घड़ों के विक्रेता विक्रम की अनुसार लॉकडाउन के समय पानी की किल्लत काफी थी, उस समय प्रवासी मजदूरों ने खूब इनको खरीदकर अपने वाहनों में रखा ताकि उन्हें पीने के पानी के लिए दर- दर की ठोकर न खानी पड़े।

विक्रम के मुताबिक उस समय हमारे पास खाने को पैसे नहीं थे, लेकिन मजदूरों का आवागमन शुरू हुआ तो उससे हमारी आय तो हुई साथ ही खुशी इस बात की थी कि हम जरुरतमंदो की मदद कर सकें।

ये भी पढ़े: फर्जीवाडा करने वाली टीचर की इनसाइड स्टोरी

ये भी पढ़े: जब इंटिमेट सीन करते हुए बेकाबू हो गये थे ये स्टार्स

विक्रम ने कहा कि कई लोग लॉकडाउन के समय पानी के लिए परेशान थे, उनको पानी पिलाने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। कई लोगों के पास देने को पैसे नहीं बचे थे उनकी मदद कर काफी अच्छा लगा।

मटका विक्रेता संदीप ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल घड़ों की बिक्री ज्यादा हो रही है। वजह है कि डॉक्टरों ने फ्रिज का पानी पीने से मना किया है। जिस कारण लोग घडों की ओर रुख कर रहे हैं। क्योंकि घडों का पानी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है और प्राकृतिक रूप से पानी को ठंडा रखता है।

ये भी पढ़े: अस्पतालों में अब सिर्फ दिल्ली वालों का इलाज, सोमवार से खुलेंगे बॉर्डर

ये भी पढ़े: खबर का असर : स्वास्थ्य महानिदेशालय के वित्त नियंत्रक हटाये गये

डिज़ाइनर मटकों की डिमांड ज्यादा

दुकानदार राजेश का कहना है कि अलग- अलग डिजाइन में इन घड़ों की एक खासियत भी है, यह घड़े पूरी तरह से संक्रमण को रोकने में मदद करेंगे। इन घड़ों में बकायदा नल लगाया गया है, जिससे घड़े के अंदर बिना हाथ डाले आप नल द्वारा पानी लेकर पी सकते हैं।

नल लगे हुए अलग-अलग डिजाइन में यह घड़ें जनता को काफी पसंद आ रहे हैं। अहमदाबादी और गुजराती मटके आम मटकों से बिल्कुल अलग हैं और देखने में आकर्षक लगते हैं। यही कारण है कि ये मटके लोगों की पहली पसंद बन गये हैं।

अधुनिक युग से हो रहे थे बाहर

आधुनिक दुनिया में मशीनों ने कुछ ऐसा साथ दिया कि देश के लोग अपनी संस्कृति को ही भुला बैठे थे, लेकिन इस कोरोना काल ने उसी संस्कृति और परंपरा को वापस ला दिया है।

लॉकडाउन में जहां पुराने दोस्तों- रिश्तेदारों को एक दूसरे के करीब ला दिया। सास-बहू, ननद-भौजाई की नोकझोक और पारिवारिक राजनीत जैसे सीरियल को छोड़ रामायण, महाभारत देखने लगे। वही अब मौका मिला है मिट्टी के घड़ों में पानी पिने का।

जी हां वही घड़े जिनका शीतल जल गर्मी के दिनों में हम सब की प्यास बुझाता था। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं था। इन दिनों हर तरफ कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है, जहां मिट्टी के घड़ों को खरीदने के लिए लाइन लगी हुई है।

ये भी पढ़े: तो क्या कोरोना वायरस से बचने के लिए मिल गई ‘संजीवनी बूटी’

ये भी पढ़े: 8 जून से खुलेंगे धर्मस्थल जाना है तो जान लें वहां के नये नियम

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com