जुबिली स्पेशल डेस्क
मिर्जापुर। मिर्ज़ापुर ज़िले का ज़िला अस्पताल L-2COVID मंडलीय चिकित्सालय है,जहां 28 वेंटिलेटर स्थापित हैं लेकिन डॉक्टर न होने से एक भी चल भी नहीं रहे हैं।
दो दिन पहले नारायण अग्रवाल को कोरोना की शिकायत होने पर जनपद के भाजपा विधायक रत्नाकर के कहने के बाद भर्ती कराया गया। विधायक का आरोप है कि बार-बार कहने के बाद भी मरीज़ को वेंटिलेटर नहीं दिया गया और मरीज़ की मृत्यु हो गयी।
ज़िले के मुख्य चिकित्साधिकारी के ऊपर विधायक ने कई गम्भीर आरोप लगते हुए कहा कि चिकित्सालय में कोरोना के मरीज़ों को चिकित्सा सुविधा नहीं दी जा रही है और ऐसे मरीजों की मौत हो रही है जिससे सरकार की बदनामी हो रही है।
ये आरोप भाजपा के विधायक ने वीडियो जारी करके लगाया है। उन्होंने इसके लिए मिर्जापुर के मुख्य चिकित्साधिकारी को दोषी ठहराते हुए कहा है कि अधिकारी सरकार की बदनामी करा रहे हैं।
क्या है वास्तविकता
मुख्य चिकित्साधिकारी से सम्पर्क न होने पर मंडलीय चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक ने जुबिली पोस्ट को बताया की चिकित्सालय में कोरोना के मरीज़ों को भर्ती भी किया जा रहा है और ज़रूरत पर वेंटिलेटर की सुविधा भी दी जा रही है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के अनुसार मंडलीय चिकित्सालय में कुल 28 वेंटीलेटर हैं।
लेकिन वास्तविकता इसके ठीक उलट है प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने कोविड ड्यूटी के लिये एक आदेश जारी किया है जिसके अनुसार केवल एक चिकित्सक एनेस्थीसिया के डॉक्टर नवीन सिंह है जो on call उपलब्ध रहेंगे।
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साफ़ है कि एक एनेस्थेटिक 28 वेंटिलेटर का संचालन कैसे कर सकता है । जबकि वेंटिलेटर चलाने के लिये एनेस्थीसिया के डाक्टरों और प्रशिक्षित स्टाफ की जरूरत होती है। जुबली पोस्ट से बात करते हुए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का कहना है की डॉक्टर आठ घंटे ही तो काम करेगा।
सवाल बड़ा है
जिला चिकित्सालय में आज की तिथि में 28 ventilator एक साल से स्थापित हैं तो यदि स्टाफ़ नहीं है तो निदेशालय या सरकार से कितनी बार अधीक्षक ने पत्राचार किया गया ,इसका कोई जवाब नहीं है।
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सवाल है कि क्या ये वेंटिलेटर रखे रखे खराब नहीं होंगे। और जब योगी सरकार के मंत्री दावा कर रहे हैं कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज पूरी तरह से किया जा रहा है और वेंटिलेटर भी उपलब्ध हैं तो क्या यह नहीं देखना है जिले के कलेक्टर और प्रभारी मंत्री को असलियत क्या है।
वेंटिलेटर चल रहे हैं या नहीं जिले के जिलाधिकारी कमिश्नर और अन्य नोडल अधिकारियों ने इस पर रिपोर्ट सरकार को दी है क्या, और सरकार ,चिकित्सा महानिदेशालय ने क्या किया?
जब महामारी का ये आलम है कि लोग बीमार हो रहे हैं और इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं तब जिले के अधिकारी चुनाव में व्यस्त हैं।,
एनेस्थीसीया के डाक्टरों की कमी कितनी सही?
सूत्र बता रहे हैं कि ज़िले में कोविड के नोडल प्रभारी खुद anesthesia के डॉक्टर हैं लेकिन उन्हें ventilator चलने के लिए नहीं नियुक्त किया गया है।
इसके अलावा कई डॉक्टर anesthesiaमें पी जी का कोर्स करके मुख्य चिकित्साधिकारी से साँठ गाँठ करके प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात हैं जहां इनका कोई विशेष काम नहीं है।जानकर बता रहे हैं कि इन डॉक्टर के सर्विस बुक में भी एंट्री नहीं की गयी है जिससे कि वह कोविड की ड्यूटी से बचे रहें।
यह तो उस चिकित्सालय का हाल है जो मण्डल का प्रमुख ज़िला अस्पताल है। जांच कराई जाय तो कई जनपद ऐसे मिलेंगे जहां सुविधायें सारी हैं लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं।और वेंटिलेटर होते हुए भी लोग दम तोड़ रहे हैं।
कोरोना की इस महामारी की त्रासदी के बीच क्या स्टाफ़ न होने का रोना रोकर वेंटिलेटर न चलाकर लोंगों को मरने की लिए छोड़ दिया जाय और वह भी तब जब योगी सरकार कोरोना के रोगियों के लिए सारी सुविधा होने का दम भर रही हो।
जनता की आवाज भले ही न सुने सरकार लेकिन अपनी ही पार्टी के विधायक का दर्द सरकार शायद सुन ले और मिर्जापुर मणडल के लोगों को कोरोना के कहर से बेवक्त मरना न पड़े। साथ ही अन्य जनपदों की भी मुख्यमंत्री योगी की सरकार समीक्षा करके अस्पतालों की दशा में धरातल पर सुधार सके।