न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका के न्यूयार्क की हालत किस कदर बिगड़ गई है इसका अंदाजा यहां खुदने वाले सामूहिक कब्रों से लगाया जा सकता है। जब अमेरिका में कोरोना ने दस्तक दी थी, तब यहीं कहा जा रहा था कि घबराने की जरूरत नहीं है। ट्रप सरकार ने उस समय कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने के बजाए इटली जैसे कोरोना प्रभावित इलाकों में ना जाने की चेतावनी और ईरान से आने वाले लोगों की एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया।
ट्रंप प्रशासन को अंदाजा नहीं था कि नग्न आंखों से न दिखने वाला एक छोटा सा वायरस अमेरिका की हालत पतली कर देगा। अमेरिका में 28 फरवरी को कोरोना वायरस से पहली मौत हुई थी। अमेरिका में कोरोना की भयावहता का अंदाजा लगाया इससे लगाया जा सकता है कि सिर्फ 40 दिन में यह आंकड़ा 17 हजार पर पहुंचने वाला है। जब कोरोना से पहली मौत सिएटल के पास न्यूयॉर्क शहर से 4,645 किलोमीटर दूर हुई थी तब कहा गया था कि चिंता की कोई बात नहीं है।
यह भी पढ़ें : कोरोना : फेक न्यूज और सोशल मीडिया
यह वह दौर था,जब अमेरिका के ईस्ट कोस्ट पर स्थित न्यूयॉर्क शहर को सुरक्षित माना जा रहा था, लेकिन अगले 10 दिनों में अमेरिका के पूर्वी इलाकों और खासतौर पर न्यूयॉर्क प्रांत में कोरोना वायरस के मामले बढऩे लगे। अमेरिका में कोरोना वायरस यूरोप से छह घंटे की उड़ान भरकर न्यूयार्क पहुंचे अमरीकियों के साथ पहुंचा।
सामान्य परिस्थितियों में यूरोप और न्यूयॉर्क के बीच हर दिन हजारों फ्लाइटें ऑपरेट होती थीं। इसी दौरान पता चला कि यूरोप से ही बड़ी संख्या में कोरोना वायरस भी अमेरिका पहुंचे। इसके बाद तो यहां हालात इतने विस्फोटक हो गए कि कोरोना पर नियंत्रण करने के लिए सही कदम उठाने का समय निकल गया। मामला विस्फोटक हो गया।
न्यूयॉर्क प्रांत में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण के 1,59,937 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। यह संख्या स्पेन के 1,53,000 और इटली के 1,43,000 से भी आगे निकल चुकी है। वहीं पूरे अमेरिका में हालात बदतर होते जा रहे हैं। यहां अब तक कोविड-19 संक्रमण के 4,66,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 16,600 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। अकेले न्यूयॉर्क प्रांत में मृतकों की संख्या 5,000 से आगे बढ़ती जा रही है।
यह भी पढ़ें : तो क्या कोरोना के जाने के बाद चीन बनेगा दुनिया का ‘बॉस’!
न्यूयॉर्क शहर में बड़े स्तर पर गहरी सामूहिक कब्रें भी खोदी जा रही हैं। ड्रोन कैमरों से लिए गए वीडियो दिखा रहे हैं कि सीढिय़ां लगाकर सामूहिक कब्रों में ताबूत उतारे जा रहे हैं। आज हालत यह है कि जिन कब्रिस्तानों में पहले हफ्ते में एक दिन ही दफनाने के लिए तय था, वहां अब हफ्ते में पांच दिन यह सर्विस दी जा रही है। आम तौर पर यहां उन शवों को दफनाया जा रहा है कि जिनका कोई वारिस नहीं। शहर प्रशासन के मुताबिक महामारी से पहले ये काम जेल में बंद कैदियों से करवाया जाता था, लेकिन अब काम इतना बढ़ चुका है कि ठेकेदार इसे करने लगे है।
आज अमेरिका के न्यूयार्क की हालत वैसी ही हो गई है जैसी इटली और स्पेन की कुछ दिनों पहले थी। ताबूत की कम से लेकर लाशों को दफनाने के लिए जगह को लेकर किल्लत शुरु हो गई है।
न्यूयार्क शहर के एल्महर्स्ट, ईस्ट एल्महर्स्ट और जैक्सन हाईट्स जैसे इलाकों को कोरोना संक्रमण का केंद्र बताया जा रहा है। अमरीकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार इन तीनों इलाकों में छह लाख लोग रहते हैं और वहां कोरोना वायरस के 7,260 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
न्यूयॉर्क शहर में कोरोना वायरस से मरने वालों में 34 फीसदी दक्षिण अमेरिकी मूल के लोग हैं। ये लोग ज्यादातर ऐसे इलाकों में रहते थे जहां किराया तुलनात्मक रूप से सस्ता है, लेकिन ऐसे इलाकों के आस पास भारत, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन और फिलीपींस से आए आप्रवासी बड़ी संख्या में रहते हैं।