Wednesday - 30 October 2024 - 3:22 PM

मानव और दानव के बीच संग्राम है कोरोना

  • वायरस पर हमेशा मानव जाति की जीत होती आई है
  • इस बार भी वायरस COVID-19 पराजित होगा
  • प्लेग, चेचक मलेरिया और डेंगू, कोरोना से कहीं ज्यादा जान ले चुके हैं

राजीव ओझा

“सर्वाइवल ऑफ़ द फिटेस्ट” एक ऐसा वाक्यांश है जो डार्विनियन विकासवादी सिद्धांत से उत्पन्न हुआ है। जब से पृथ्वी पर जीव आए तब से विकास का यही क्रम चल रहा है। जो फिट है वही रहेगा।

मानव जाति और वायरस में संग्राम शुरू से ही चल रहा है। ऐसे भी कह सकते हैं की यह मानव और दानव का संग्राम है और इसमें जीत हमेशा से मानव की ही होती है। इस बार भी होगी। जब से और जब तक तक मानव सभ्यता है, उसका सामना वायरस रुपी दानव से होता रहेगा।

कोरोना, प्लेग या चेचक जैसी महामारी को मानव सभ्यता हमेशा से झेलती और उस पर विजय हासिल करती आई है। हां, कभी कभी ये असुर या दानव मानव जाति को कुछ ज्यादा ही नुकसान पहुंचा देते हैं।

लेकिन जैसे जैसे सभ्यता और विज्ञान आगे बढ़ा, मानव जाति की वायरस से जंग तेज हो गई है। ताजा मामला कोरोना वायरस से जंग का है। इतिहास पर नजर डालें तो 165 ईसवी में इटली प्रायद्वीप में चेचक के संक्रमण से 50 लाख लोगों की मौत हुई थी। वर्ष 252 ई. में ‘प्लेग ऑफ साइप्रियन’ के प्रकोप से रोम में महीनों तक हर रोज औसतन 5,000 लोगों की मौत होती रही। 547 ईस्वी में मिस्र से बूबोनिक प्लेग फैला, जिसे ‘प्लेग ऑफ जस्टिनियन’भी कहा गया। यह वहां से फैलते हुए ऐतिहासिक शहर कुस्तुनतुनिया पहुँच गया है। इतिहास लेखक प्रोसोपियस के अनुसार, तब प्रतिदिन 10,000 से अधिक लोगों की मौत हो रही थी।

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1312 ई. में यूरोप से प्लेग ने वापसी की और इसके कहर से दुनिया भर में 7.5 करोड़ लोगों के मरने का अनुमान लगाया गया। इसे ब्लैक डेथ भी कहा गया। प्लेग से 1344 से 1348 के बीच भूमध्य सागर और पश्चिमी यूरोप तक दो-तीन करोड़ लोगों की मौत हुई थी। जो उस समय उनकी कुल जनसंख्या का एक तिहाई हिस्सा था। 1666 ई. के ग्रेट प्लेग ऑफ लंदन ने तब एक लाख लोगों की जान ले ली थी। जो तब लंदन की 20 प्रतिशत आबादी थी।

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19वीं सदी के मध्य में चीन से तीसरी वैश्विक महामारी प्लेग फैली। जिससे केवल भारत में एक करोड़ लोगों की मौत हो गयी थी। 1902 में अमेरिका के सैनफ्रांसिस्को से शुरू होकर वहां पहली बार प्लेग का कहर बरपा। यहां तक कि गुजरात के सूरत में जब 1994 में प्लेग की आफत आयी थी। इस नजरिये से COVID-19 ने बहुत कम नुकसान पहुँचाया है। चीन में सब से ज्यादा करीब 5000 लोग अब तक मर चुके हैं लेकिन चीन ने जंग लगभग जीत ली है।

ऐसी उम्मीद है कि भारत में तापमान बढ़ते ही कोरोना नियंत्रण में आजायेगा। हालांकि यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता लेकिन उम्मीदों पर दुनिया टिकी है। सेनेटाईजेशन, सूर्यदेव और वैक्सीन मिल कर इस बार कोरोना का समूल नाश करेंगे।

क्योंकि भारत में कोरोना संक्रमण अभी स्टेज 2 में है। लेकिन स्टेज 3 में जाते ही स्थिति गंभीर हो जाएगी। स्टेज 3 की स्थिति रोकने के लिए भारत के पास करीब एक महीने का समय है। कोरोना से बचने का सर्वोत्तम उपाय दवा नहीं जागरूकता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (immunity) मजबूत और जागरूकता हो तो कोरोना को आसानी से हराया जा सकता है। लेकिन सबसे ज्यादा खतरा नीम-हकीमों और धंधेबाजों से है। किसी भी ताबीज या तंत्र-मंत्र से कोरोना से नहीं लड़ा जा सकता। जनता और प्रशासन को वायरस के साथ ही इनसे भी जंग लड़नी होगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)

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(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Jubilee Post उत्तरदायी नहीं है।)

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