जुबिली न्यूज डेस्क
मार्च माह से देश भर में स्कूल बंद है। केंद्र सरकार ने अनलॉक-4 के तहत स्कूलों को 50 फीसदी शिक्षक-कार्मिक क्षमता केसाथ खोलने की अनुमति दी है। अधिकांश राज्यों में स्कूल खोलने की तैयारी चल रही है तो वहीं उत्तराखंड में सरकार ने स्पष्टï कर दिया है कि कोरोना संक्रमण की स्थिति देखते हुए ही स्कूल खोलने पर विचार किया जायेगा।
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राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए उत्तराखंड सरकार स्कूलों को 21 सितंबर से न खोलने पर गंभीरता से विचार कर रही है। सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि कोरोना संक्रमण का आंकलन किया जा रहा है। यदि जरूरी महसूस हुआ तो सरकार स्कूलों को नहीं खोलेगी।
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने स्कूलों को 50 फीसदी शिक्षक-कार्मिक क्षमता के खोलने की अनुमति दी है। इसके साथ ही नवीं से 12 वीं कक्षा तक के छात्रों को शिक्षकों से गाइडेंस लेने के लिए आने की छूट भी दी है। हां इसके लिए उन्हें अपने अभिभावकों से अनुमति जरूर लेनी होगी।
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उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सरकार का मानना है कि इस स्थिति में रियायत देना नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र सरकार ने सभी शैक्षिक संस्थानों को 30 सितंबर तक बंद रखने की व्यवस्था दी है। 21 सितंबर से जिला प्रशासन की अनुमति से स्कूलों को खोलने और अभिभावकों की सहमति से छात्रों के स्कूल आने की रियायत दी है। वर्तमान में स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं, इसलिए यह इतना भी जरूरी नहीं है। संक्रमण पर नियंत्रण होने पर ही इसकी इजाजत दी जाएगी।
60 फीसदी प्राइवेट स्कूल नहीं खोलना चाहते स्कूल
सरकार ने भले ही स्कूल खोलने की अनुमति दे दी हो पर प्राइवेट स्कूल भी इसके पक्ष में नहीं है। 21 सितंबर से स्कूल को खोलने की व्यवस्था से ज्यादातर प्राइवेट स्कूल भी सहमत नहीं हैं। उत्तराखंड में 60 फीसदी स्कूल संचालक फिलहाल पढ़ाई को ऑनलाइन ही रखना चाहते हैं।
हालांकि प्राइवेट स्कूल इसकी तैयारी में जुट गए है। स्कूलों की तरफ से अभिभावकों को भी निर्देश दिए जा रहे हैं कि यदि वो अपने बच्चे को स्कूल भेजते हैं तो सेनेटाइजर, मास्क, ग्लव्स, पानी की बोतल भी साथ में अनिवार्य रूप से भेंजे। ज्यादा समय तक रुकने की स्थिति में छात्रों को अपना टिफिन साथ लाना होगा, लेकिन उसे एक दूसरे के साथ शेयर नहीं किया जाएगा।