देश की जेलों की दुर्व्यवस्था पर लगातार चिंता जतायी जा रही है, लेकिन कोई सुधार नहीं हो रहा है। देशभर की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों के मौजूद होने की समस्या बनी हुई है। अब जबकि देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है तो ऐसे में जेलों की सुरक्षा अहम हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए देश की जेलों में बंद कैदियों की बड़ी संख्या पर गंभीर रुख अपनाया है।
कोर्ट ने कहा है कि ये सुनिश्चित करना सबका कर्तव्य है कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए जेलों में स्वास्थ्य सुरक्षा के व्यापक इंतजात किए जाए। इतना ही नहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को लेकर राज्यों को कुछ कैदियों को पैरोल पर छोडऩे के लिए विचार करने को कहा है।
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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने हर राज्य से हाई पावर कमेटी गठित करने के लिए कहा जो ये तय करेगी कि किस कैटेगरी के कैदियों को पैरोल पर छोड़ा जा सकता है या अंतरिम जमानत पर उपर्युक्त समय के लिए रिहा किया जा सकता है।
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जेलों में कैदियों की भीड़ का मुद्दा हमारे संज्ञान में आया है। खास तौर पर कोरोना वायरस से महामारी के खतरे को देखते हुए ये मुद्दा और भी गंभीर है।
यह तो हो गई सुप्रीम कोर्ट की बात। देश के जेलों का क्या हाल है, उसे इन आंकड़ों से समझा जा सकता है। पिछले साल नवंबर माह में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी)ने देश के जेलों को लेकर कई खुलासे किए थे।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नए आंकड़ों अनुसार वर्ष 2015-2017 के दौरान भी जेल में क्षमता से अधिक कैदी थे। इस अवधि में कैदियों की संख्या में 7.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जबकि समान अवधि में जेल की क्षमता में 6.8 प्रतिशत वृद्धि हुई।
एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017 के अंत में देश भर की 1,361 जेलों में 4.50 लाख कैदी थे। इस तरह सभी जेलों की कुल क्षमता से करीब 60,000 अधिक कैदी थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, जेल में सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ उत्तर प्रदेश में है जबकि सभी राज्यों की तुलना में यहां सबसे ज्यादा जेल की क्षमता है। उत्तर प्रदेश की जेलों में सबसे ज्यादा कैदी भी हैं। उत्तर प्रदेश में कुल 70 जेल हैं, जिनमें 58,400 कैदी रह सकते हैं, लेकिन 2017 के अंत में यहां 96,383 कैदी थे।
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जेलों में कैदियों के रहने की क्षमता 2015 में 3.66 लाख से बढ़कर 2016 में 3.80 लाख और 2017 में 3,91,574 होने के बावजूद कैदियों की संख्या पार कर गई। इस अवधि में जेलों की क्षमता में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
जेल की क्षमता में बढोतरी के बावजूद कैदियों की संख्या 2015 में 4.19 लाख से 2016 में 4.33 लाख और 2017 में 4.50 लाख हो गयी। इस तरह 2015-17 में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जेल में कैदियों के रहने की क्षमता की तुलना में कैदियों की संख्या बढ़ऩे के कारण जेल में रिहाइश दर 2015 में 114.4 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 115.1 हो गई।
एनसीआरबी के अनुसार, 2017 के अंत तक विभिन्न जेलों में 4.50 लाख कैदी थे। इनमें 431823 पुरुष और 18873 महिलाएं थीं।
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