जुबिली न्यूज डेस्क
अमेरिका ने कोरोना का कहर सबसे ज्यादा झेला है। आज भी वहां कोरोना का तांडव थमा नहीं है। इसकी गवाही मौत के आंकड़े दे रहे हैं।
अमेरिका में मौत का आंकड़ा 6 लाख से 7 लाख तक पहुंचने में सिर्फ साढ़े तीन महीने लगे। कोरोना से मरने वालों की संख्या बोस्टन की आबादी से अधिक है।
अमेरिका में अनवैक्सीनेटेड आबादी में डेल्टा वेरिएंट फैलने के कारण मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ।
अमेरिका में कोरोना संक्रमण से 7 लाख लोगों की मौत हो गई। हालांकि, डेल्टा वेरिएंट का जब से असर कम हुआ है, तब से अस्पतालों ने कुछ राहत की सांस ली है।
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अमेरिका में कोरोना संक्रमण से मौत काफी निराशाजनक हैं, खासकर पब्लिक हेल्थ लीडर्स और मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए, क्योंकि अमेरिका में पिछले 6 महीने से कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन उपलब्ध है।
7 करोड़ लोगों को नहीं लगा टीका
कई रिसर्च रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि कोरोना वैक्सीन लोगों की अस्पताल में भर्ती होने और मौत से रक्षा करता है। सुबूत होने के बावजूद अमेरिका में 7 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो वैक्सीनेशन के लिए योग्य हैं, फिर भी उन्होंने वैक्सीनेशन की कोई डोज नहीं ली है। इस वजह से इन लोगों में वायरस का डेल्टा वेरिएंट तेजी से फैला। टीका नहीं लगवाने वाले लोग ऐसे हैं, जो इस पर संदेह जता रहे हैं।
कोरोना के ग्राफ में आई कमी
गर्मियों में कोरोना के ग्राफ में आई कमी की वजह अधिक मास्क पहनने और अधिक लोगों को वैक्सीनेशन लगना बताया जा रहा है। अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ एंथनी फौसी ने कहा, कुछ लोगों को संतोषजनक आंकड़े नजर आ रहे हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं होना चाहिए कि लोग वैक्सीन ना लगवाएं।
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उन्होंने कहा, ये अच्छी बात है कि कोरोना का ग्राफ नीचे जा रहा है। इसका मतलब ये नहीं कि लोग वैक्सीन नहीं लगवाने का तर्क दें। दूसरी ओर, इस बात का भी डर बना हुआ है कि कहीं फ्लू की चपेट में आने वाले लोग भी कोरोना का शिकार न बन जाएं। इससे अस्पतालों पर दबाव बढ़ सकता है।