जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस दुनिया को कितना प्रभावित करेगी किसी ने नहीं सोचा था। हर दिन कोरोना की भयावहता बढ़ती जा रही है। कोरोना संक्रमण से तो लोग मर ही रहे हैं साथ ही कोरोना की वज से उपजी समस्याओं से भी लोग अपनी जान गवां रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की कारण हर माह 10 हजार से अधिक छोटे बच्चे की भूख की वजह से मौत हो रही है।
यह चौकाने वाला खुलासा यूएन की एक रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि गांव में उपजे उत्पाद बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो वहीं गांव खाद्य और मेडिकल सप्लाई से कट चुके हैं। इस रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई है कि कोरोना वायरस की वजह से हुई भोजन की आपूर्ति में कमी के कारण एक साल में 1,20,000 बच्चों की मौत हो सकती है।
यह भी पढ़ें : कितनी होगी कोरोना वैक्सीन की कीमत?
यह भी पढ़ें : मायावती ने क्यों कहा- कांग्रेस ने बार-बार धोखा ही दिया
यह भी पढ़ें : चार माह में दोगुनी हुई चांदी की दीवाली तक और बढ़ेगी चमक
कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा प्रभाव गरीबों पर पड़ा है। पहले से गरीब व्यक्ति और गरीब हो गया है। इस महामारी में गरीबों के लिए दो जून की रोटी का व्यवस्था कर पाना भारी पड़ रहा है। रोजगार छिन जाने की वजह से उनकी समस्या और बढ़ गई है। गरीब देशों पर कोरोना महामारी का प्रभाव ज्यादा पड़ा है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार हर महीने 5,50,000 से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र की चार एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि बढ़ते कुपोषण के दीर्घकालिक नतीजे हो सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोषण प्रमुख फ्रांसेस्को ब्रांका के मुताबिक, “कोविड संकट का खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव अब से कई वर्षों तक दिखता रहेगा।” ब्रांका कहते हैं कि इसका “सामाजिक प्रभाव होने जा रहा है।”
दुनियाभर में ज्यादातर देशों द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए की गई तालाबंदी के कारण पहले से ही भुखमरी की मार झेल रहे समुदाय अब और हाशिए पर आ गए हैं। प्रतिबंधों की वजह से बाजार और गांवों तक खाद्य और चिकित्सा सहायता नहीं पहुंच पा रही है।
कोरोना वायरस महामारी के पहले ही साल में हर महीने 10,000 से अधिक बच्चों की मौत हो रही है। यूएन ने इस दिशा में राष्ट्रों से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीकी देश बुरकिना फासो में पांच में से एक बच्चा गंभीर कुपोषण का शिकार है। इस देश की आबादी दो करोड़ है और 1.2 करोड़ लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है। अप्रैल के महीने में विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बिसले ने चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था में कमजोरी वैश्विक अकाल का कारण बनेगी।
यह भी पढ़ें : महीनों बाद वियतनाम में फिर लौटा कोरोना वायरस
यह भी पढ़ें : स्मृतियों में जिंदा कलाम प्रेरणा भी हैं और आइना भी
यह भी पढ़ें : प्रियंका ने भाजपा सांसद को चाय पर क्यों बुलाया ?
विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बिसले ने उस समय कहा था कि विश्व के नेताओं को इससे निपटने के लिए कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा था, “कोरोना वायरस महामारी ना सिर्फ अमीर देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है बल्कि संवेदनशील और संघर्ष ग्रस्त देशों पर भी असर डाल रही है जहां लाखों की संख्या में लोग भुखमरी का सामना करने को मजबूर हो जाएंगे।”
इसी महीने यूएन की एक और रिपोर्ट में वैश्विक भुखमरी को लेकर कहा गया था पिछले साल भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या एक करोड़ बढ़ गई थी। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि कोरोना वायरस महामारी इस साल करीब 13 करोड़ अतिरिक्त लोगों को भुखमरी की ओर धकेल सकती है। उस रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना महामारी के कारण हालात और खराब हो रहे हैं और करीब नौ में से एक व्यक्ति को भूखा रहना पड़ रहा है।
दरअसल कोरोना वायरस महामारी के कारण भुखमरी के खिलाफ अभियान एक तरह से थम गया है। पिछड़े देशों में स्वास्थयकर्मी और अन्य एजेंसियां कोविड-19 से निपटने में लगी हुई है और भूखे लोगों से एक तरह से ध्यान हट गया है।