- कोरोना के 10 से 100 गुना अधिक वायरस होते हैं पांच साल से छोटे बच्चों में
जुबिली न्यूज डेस्क
कोविड-19 को आए सात माह हो गए हैं लेकिन अब भी यह वैज्ञानिक के लिए चुनौती बना हुआ है। दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस पर शोध कर रहे हैं, पर इसके बदलते चरित्र की वजह से यह अब भी रहस्यमयी बना हुआ है।
आए दिन कोरोना वायरस को लेकर कोई न कोई खुलासा होता रहता है। इसी कड़ी में एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि 5 साल से छोटे बच्चों के नाक में अधिक उम्र के बच्चों या वयस्कों की तुलना में कोरोना वायरस के जैनेटिक मैटेरियल 10 से 100 गुना अधिक होते हैं। इसका मतलब यह है कि छोटे बच्चे समुदाय में संक्रमण का बड़ा वाहक हो सकते हैं।
यह खुलासा गुरुवार को JAMA पीडियाट्रिक्स एक स्टडी रिपोर्ट में हुआ है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप स्कूल और डेकेयर खोलने पर जोर दे रहे हैं।
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23 मार्च से 27 अप्रैल के बीच शोधकर्ताओं ने शिकागो में 145 मरीजों के नोजल स्वैब के जरिए रिसर्च किया, जिनमें एक सप्ताह से लक्षण थे। मरीजों के समूह को तीन हिस्सों में बांटा गया था। 46 बच्चे 5 साल से कम उम्र के थे, 51 बच्चों की उम्र 5 से 17 साल के बीच थी और 48 व्यस्क 18 से 65 साल की उम्र के थे।
एन एंड रोबर्ट एच लूरी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डॉक्टर टेलर हील्ड सर्जेंट की अगुआई में यह शोध हुआ। सर्जेंट की टीम ने पाया कि छोटे बच्चों के ऊपरी श्वांस नली में स््रक्रस्-ष्टशङ्क-2 वायरस 10 से 100 गुना तक अधिक थे।
कोरोना के शुरुआती दौर में कहा जा रहा था कि बच्चे कोरोना से सुरक्षित है, पर ऐसा नहीं है।
टीम ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि लैंप स्टडी से पाया गया कि जैनेटिक मैटिरियल जितनी अधिक होती है, संक्रमण उतना अधिक फैलता है।
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यह पहले भी कहा गया है कि अधिक वायरल लोड वाले बच्चे बीमारी अधिक फैला सकते हैं। रिपोर्ट में लिखा है कि छोटे बच्चे आम आबादी में स््रक्रस्-ष्टशङ्क-2 के अहम वाहक हैं।
यह रिपोर्ट हेल्थ अथॉरिटीज की उन मान्यताओं की विपरीत है कि बच्चे इस वायरस से गंभीर रूप से कम बीमार पड़ते हैं और दूसरों को अधिक संक्रमित नहीं करते हैं। हालांकि अभी इस पर पर्याप्त शोध नहीं हुआ है।
साउथ कोरिया में हाल ही में एक रिसर्च में पाया गया कि 10 से 19 साल के बच्चों ने घर में व्यस्कों की तरह ही संक्रमण फैलाया, लेकिन 9 साल से कम उम्र के बच्चों ने कम संक्रमण फैलाया है।