जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी की वजह से जीवन बीमा को लेकर भारतीय युवाओं की नजरिया बदल गया है। कोरोना की दूसरी लहर के पहले तक भारत में आमतौर पर युवा जीवन बीमा को पहले कम तरजीह देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब तो भारतीय युवाओं में जीवन बीमा लेने की होड़ मची हुई है।
अप्रैल-मई माह में कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में खूब तांडव मचाया। इस दौरान भारी संख्या में युवाओं की मौत हुई। इसे देखकर युवाओं में जीवन बीमा पॉलिसी लेने की होड़ मच गई है।
भारत में 20 वर्षी की आयु से अधिक कई लोगों की तरह सोनाली अस्थाना जीवन बीमा पॉलिसी को टालती रहीं। जब कोविड-19 के कारण भारत में संक्रमण के मामलों में वृद्धि और मौतों में उछाल से उनका सामना हुआ तो सोनाली को भी अपनी चिंता सताने लगी।
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दिल्ली में पब्लिक रिलेशंस एजेंसी में बतौर सीनियर एक्जिक्यूटिव काम करने वालीं 25 साल की सोनाली कहती हैं, “मैंने अपनी उम्र के लोगों को मरते देखा, जिसने मुझे जीवन बीमा लेने के लिए प्रेरित किया।”
सोनाली कहती हैं, “मैं नहीं चाहती हूं कि अगर मुझे कुछ हो जाता है तो मेरा परिवार ऐसी स्थिति में रहे जहां उसे पैसे के लिए हाथ पांव मारना पड़े।”
भारत में कोरोना के कारण 3.80 लाख के करीब मौतें हुई हैं। अमेरिका और ब्राजील के बाद कोरोना की वजह से भारत में सबसे अधिक मौतें दर्ज हुई हैं।
हालांकि जानकारों का कहना है कि कोरोना की जांच कम होने के कारण भारत में संख्या को कम करके आंका गया और शायद भारत में दुनिया से कहीं अधिक मौतें हुई हों।
जागरूक हुए युवा
भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन बीमा एग्रीगेटर पॉलिसी बाजार के अनुसार देश में जब अप्रैल और मई के दौरान कोरोना महामारी की दूसरी लहर चरम पर थी, उस समय 25 और 35 वर्ष आयु वर्ग के बीच टर्म प्लान (सावधि बीमा) लेने वालों की संख्या पिछले तीन महीने की तुलना में 30 फीसदी अधिक रही।
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ऑनलाइन बीमा एग्रीगेटर बीमादेखो के माध्यम से सावधि बीमा पॉलिसी की खरीद मार्च के मुकाबले मई में 70 फीसदी बढ़ी है।
व्यापार गोपनीयता का हवाला देते हुए कंपनियों ने यह नहीं बताया कि उन्होंने कितनी पॉलिसी बेचीं लेकिन कंपनियों ने कहा कि “संख्या हजारों” में थी।
इस मामले में एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य वित्तीय अधिकारी नीरज शाह का कहना है, “मौजूदा कोरोना महामारी ने चारों ओर बहुत वित्तीय सुरक्षा की आवश्यकता और बीमा कवरेज को लेकर जागरूकता पैदा की है।”
एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 35 साल के कम उम्र के लोगों में जीवन बीमा को लेकर अधिक मांग देखने को मिली है।
चौथा स्तंभ बन गया बीमा
इंश्योरेंसदेखो के संस्थापक और सीईओ अंकित अग्रवाल कहते हैं, ” मिडिल क्लास परिवार के लिए कपड़ा, भोजन और घर के बाद अब बीमा चौथा स्तंभ बन गया है।”
बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के ताजा आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2001 में 2.15 फीसदी की तुलना में 2019 में भारत की आबादी के बीच जीवन बीमा की पैठ 2.82 फीसदी थी।
यह अभी भी साल 2019 के वैश्विक औसत 3.35 प्रतिशत से काफी नीचे है, लेकिन फिर भारत के 1.35 अरब लोगों का एक बड़ा वर्ग बीमा के लिए अतिरिक्त पैसे नहीं जुटा पाता है। कोरोना महामारी की वजह से यह स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है।
भारत में टर्म इंश्योरेंस प्लान काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि वह अक्सर सस्ता होता है और अगर प्लान लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु प्रीमियम देने की अवधि में हो जाती है तो परिवार को पैसे मिलते हैं।
लेकिन सावधि बीमा लेने वाला समय के अंत तक जीवित रहता है तो कवर को जब्त कर लिया जाता है और कुछ भुगतान नहीं होता है। वहीं अन्य प्रकार के बीमा की भी मांग में वृद्धि हुई है। अलग-अलग चिकित्सा बीमा की भी खरीद महामारी के दौरान तेजी से बढ़ी है।
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