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कोरोना ने तोड़ी UP के उद्योग-धंधों की कमर

स्पेशल डेस्क

लखनऊ कोरोना वायरस अब पहले से ज्यादा खतरनाक हो गया है। नतीजा यह रहा कि अब इसके कहर से मौतें भी तेजी से होने लगी है। सरकार के पास लॉकडाउन लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कोरोना से बचने के लिए लोगों को घरों में रहने की सलाह दी जा रही है। लॉकडाउन की वजह से देश की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है। उद्योग धंधे पूरी तरह से चौपट हो गए है।

दिहाड़ी मजदूर भूखे मरने पर मजबूर है जबकि यूपी के करीब दस ऐसे बड़े उद्योग है जिनकी लॉकडाउन की वजह से कमर टूट गई है। लखनऊ से लेकर फिरोज़ाबाद के मशहूर उद्योग धंधे ठप हो गए है। मजदूरों के पलायन से भी इन उद्योग धंधों की आगे की राह भी कठिन होने जा रही है।

यूपी में करीब दस ऐसे उद्योग धंधे है जो भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी अलग पहचान बनाते हैं। लखनऊ का चिकनकारी, कानपुर का चमड़ा उद्योग, आगरा का जूता उद्योग, फिरोजाबाद की सुहाग नगरी हो या फिर मेरठ की स्पोट्र्स इंडस्ट्री सभी चौपट हो गए है और इन सारे उद्योगों को हजारों करोड़ा का नुकसान हो रहा है।

आलम तो यह है कि उद्योग धंधे पूरी तरह से बंद है और इससे जुड़े लोग भी भूखे मरने की कगार पर पहुंच गए है। लॉकडाउन खुलने का नाम नहीं ले रहा है और इन उद्योगों को दोबारा खड़े होने में काफी वक्त लग सकता है।

मेरठ की sports इंडस्ट्री पर पड़ी कोरोना की मार

बात अगर मेरठ की स्पोट्र्स इंडस्ट्री की जाये तो कोरोना ने इसका भी खेल बिगाड़ दिया है। मेरठ से आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जिम्बॉवे समेत कई देशों में खेलों का सामान जाता है। जानकारी के मुताबिक करोड़ो रुपये का नुकसान हो चुका है। आलम तो यह है कि तैयार माल कोरोना की वजह से ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड में माल नहीं जा सका है।

मेरठ के बल्ले काफी मशहूर है जबकि बॉल, पैड समेत क्रिकेट से कई सामान बनते है। आईपीएल में यही से सामान जाता है। यहां के बल्लों की डिमांड विदेशाी खिलाडिय़ों की खूब रहती है। मेरठ से क्रिकेट के आलावा हॉकी, टेनिस, एथलेटिक्स, टेबल टेनिस, जिम, वॉलीबॉल और फुटबॉल आदि का सामान यहां से पूरी दुनिया में जाता है।

लॉकडाउन से मेरठ की स्पोर्टस इंडस्ट्री से जुड़े हजारों कर्मचारियों की कमर टूट गई है। यहां पर मजदूरी करने वाले लोग एक दिन में 300 रुपये कमा लेते थे। लॉकडाउन की वजह से इन मजदूरों को दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो रही है।

कानपुर का चमड़ा उद्योग को हुआ चौपट

कानपुर शहर राजधानी लखनऊ से करीब है। इतना ही नहीं पूरे विश्व में यहां से चमड़े के सामान जाते हैं। कानपुर से बनने वाली लेदर की जैकेट या फिर अन्य लेदर मटेरियल चीन, इंडोनेशिया और उत्तर कोरिया जैसों देशों में एक्टपोर्ट होता है लेकिन कोरोना ने चमड़ा उद्योगों को खूब नुकसान पहुंचाया है। कोरोना की वजह से बंदरगाह बंद है और इस वजह से चमड़े से बनने वाले चीजे दूसरी जगह नहीं जा रही है।

आलम तो यह है कि गोदामों माल बना पडा़ है लेकिन कोरोना के चलते सब कैंसिल हो चुका है। लेदर इंडस्ट्री की माने तो 25 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। इसके आलावा कच्चे चमड़े पर आफत आ गई है।

 लखनऊ की चिकनकारी भी हुई बर्बाद

कोरोना ने लखनऊ के सबसे पुराने चिकनकारी उद्योग भी बर्बादी की कगार पर ला दिया हैै। जानकारी के मुताबिक पहले से ही चिकनकारी लखनऊ से खत्म होने की कगार पर थी और अब रही सही कसर कोरोना ने निकाल दी है। चिकनकारी में लगे करीब 2000 मजदूर सडक़ पर आ गए है और उनके पास खाने के लिए पैसा तक नहीं बचा है।

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चिकन और जरदोजी कारीगरों पर कोरोना ने पूरी तरीके से तोड़ दिया है। बता दें कि यहां से चिकनकारी दूसरी जगहों पर जाती है। चिकन के कुर्ते यहां के मशहूर है लेकिन कोरोना की वजह से पांच सौ करोड़ नुकसान आंका जा रहा है। लखनवी चिकन गारमेंट्स भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में जाता है लेकिन लॉकडाउन और कोरोना से सबकुछ ठप्प पड़ा है। कई बड़े ऑडर कैंसिल कर दिये गए है।

 सुहाग नगरी फिरोजाबाद में कांच उद्योग को भारी नुकसान

फिरोजाबाद में कांच उद्योग को अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक यहां पर करीब 80 लाख का नुकसान आंका जा रहा है। लाकडाउन की वजह से यहां के सभी कांच के कारखाने बंद पड़े हैं। इस वजह से यहां पर काम करने वालों लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है आलम तो यह है कि लोगों को अब दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होना मुश्किल हो रहा है।

कन्नौज के इत्र की खुशबू हुई गायब

कन्नौज को इत्र नगरी के नाम से भी जाना जाता है लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से यहां इत्र की खुशबू गायब है। जानकारी के मुताबिक फूलों से बनने वाला इत्र उद्योग मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। आलम तो यह है कि हर दिन लाखों फूल खेतों में खराब हो रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से फूल कही जा नहीं पा रहा है।।इससे जुड़े गरीब लोगों को भूखे मरने की नौबत आ गई है।

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कालीन उद्योग भी हुआ चौपट

भदोही को कालीन उद्योग के लिए भी मशहूर रहा है लेकिन लॉकडाउन ने कालीन उद्योगों को चौपट कर दिया है। बताया जा रहा है कि हालात सुधरे नहीं तो दो हजार करोड़ का नुकसान होना तय है। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष में 12000 करोड़ का कारोबार हुआ था लेकिन इस साल सबकुछ रूक गया है।

आगरा का जूता उद्योग भी हुआ कमजोर

इस समय यूपी का आगरा मॉडल काफी मशहूर हुआ था लेकिन अब कोरोना ने वहां पर तेजी से अपनी जड़े मजबूत की है। इस वजह से वहां पर जूता उद्योग कमजोर पड़ गया है। बता दें कि यहां से करीब 20हजार करोड़ का कारोबार होता है लेकिन अब हालात पूरी तरह से बेकाबू हो गए है और जूता उद्योग भी इससे अछूता नहीं रहा है।

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पीतल की चमक कम हो गई है

मुरादाबाद को पीतल नगरी बोला जाता है लेकिन अब यहां के पीतल की चमक कम हो गई है। दरअसल लॉकडाउन की वजह से पीतल नगरी को तीन हजार करोड़ नुकसान होने की बात कही जा रही है। कई पीतल के बर्तन और उससे जुड़ी चीजे कई जगहों पर अटकी पड़ी है। विदेशों तक माल नहीं पहुंच सका है, इस वजह से भारी नुकसान होना तय माना जा रहा है।

बता दें कि यूपी में कोरोना ने तेजी से अपना कहर बरपाया है। उत्तर प्रदेश में फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमित 1884 मरीज हैं। प्रमुख स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि शनिवार को 4861 कोरोना सैंपल की जांच हुई। वहीं 273 पूल टेस्ट भी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आइसोलेशन वार्ड में फिलहाल 1953 लोग रखे गए हैं। वहीं फैसिलिटी क्वारंटाइन सेंटर में राज्य में 9003 लोग रह रहे हैं।

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