- 1 मई से हर दिन सामने आ रहे औसतन 2000 नए मामले
- लॉकडाउन के दौरान प्रतिदिन ठीक हुए औसतन 312 लोग
न्यूज डेस्क
स्वास्थ्य मंत्रालय के उस दावे पर मंगलवार को सवाल खड़ा हो गया जब कोरोना संक्रमण के 3900 मामले सामने आए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक दिन पहले ही ये दावा किया था कि कोविड 19 का ग्राफ नीचे आ रहा है।
मंगलवार को कोरोना के जो 3900 मामले आए वो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। 5 मई की दोपहर तक, भारत में 46,711 मामले दर्ज हुए हैं। कोरोना संक्रमण से 1,583 मौतें हो चुकी हैं।
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भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। 40 दिन की तालांबदी भी इन आंकड़ों की रफ्तार को कम नहीं कर पाई। अब इस बात पर बहस छिड़ गई है कि आखिर 40-दिवसीय तालाबंदी की प्रासंगिकता क्या रही?
25 मार्च को देश में तालाबंदी लागू किया गया था, उस दिन से लेकर 5 मई तक भारत में हर दिन कोरोना वायरस के औसतन 1,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
अगर लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण की तुलना करें तो दूसरे चरण में कोरोना वायरस के औसतन तीन गुना ज्यादा नये मामले दर्ज किए गए हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने सोमवार को कहा, “लॉकडाउन और दूसरे प्रतिबंधों के दौरान, हम कोरोना मामलों को अपेक्षाकृत नियंत्रित करने में सक्षम रहे हैं। कोरोना का ग्राफ अब नीचे आ रहा है.”
इसके उलट एक स्टडी में सामने आया है कि कोविड-19 का ग्राफ नीचे आना तो दूर, रोजाना नये मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 25 मार्च को 606 मामले सामने आए थे। इसी दिन लॉकडाउन प्रभाव में आया। 3 मई को जिस दिन लॉकडाउन का दूसरा चरण समाप्त हुआ, उस दिन कोरोना मामलों की संख्या 39,980 तक पहुंच गई। अगले दो दिनों में इसमें 6,700 से अधिक मामले जुड़ गए।
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इसका मतलब है कि भारत में लॉकडाउन के दौरान हर दिन औसतन 1,099 नए कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं। नए मामलों में औसत वृद्धि 11.3 प्रतिशत रही।
एक मई से भारत में हर दिन 2,000 से अधिक नये मामले सामने आए हैं। 19 से 30 अप्रैल के बीच हर दिन नये मामलों की संख्या लगातार 1,000 से 2,000 के बीच रही।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि लॉकडाउन के दूसरे चरण (15 अप्रैल-3 मई) में हर दिन औसतन 1,574 नए मामले सामने आए, जबकि लॉकडाउन के पहले चरण (25 मार्च-14 अप्रैल) के यह संख्या 469 थी। भारत में कोरोना वायरस का पहला केस 30 जनवरी को सामने आया था। तब से लेकर 24 मार्च तक नये मामलों की संख्या प्रतिदिन औसतन 9.4 रही।
इस दौरान कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की रफ्तार भी बढ़ रही है। 14 अप्रैल को भारत में संक्रमण के 10,000 केस हुए थे। इसके बाद 20,000 होने में मात्र नौ दिन लगे, अगले छह दिन में यह आंकड़ा 30,000 के पार चला गया और अगले पांच दिनों में ही
यह 40,000 को पार कर गया। यह तब है जब भारत 40 दिनों के संपूर्ण लॉकडाउन में था।
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भारत में तीसरे चरण की तालाबंदी 4 मई को शुरु हुई है। इस चरण में सरकार ने तालाबंदी में काफी छूट दे दी है। कोरोना वायरस के मामलों की संख्या में उछाल, रिकवरी से काफी आगे निकल गया है और इसकी वजह से भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था और दबाव में आ गई है, जो पहले से ही काफी दबाव झेल रही थी।
संक्रमित लोगों के ठीक होने के सबसे ज्यादा मामले (1,074) 4 मई, सोमवार को दर्ज हुए। संयोग से भारत में एक हजार से अधिक लोगों के ठीक होने की सूचना सिर्फ तीन दिन दर्ज की गई। ये सभी तारीखें मई की हैं। जबकि 19 अप्रैल के बाद से हर दिन 1,000 से अधिक नये मामलों की पुष्टि हो रही है और यह संख्या बढ़ रही है। लॉकडाउन के दौरान रिकवरी की औसत दर 15.3 प्रतिशत रही।
यह भी गौरतलब है कि भारत में लगभग 60 फीसदी कोरोना वायरस के मामले केवल 12 शहरों से सामने आए हैं। मुंबई में 5 मई की सुबह तक 9,123 मामले दर्ज हो चुके हैं। यह भारत में कुल कोरोना केसों की संख्या का 19.6 फीसदी है। मुंबई के बाद सबसे ज्यादा केस दिल्ली (4,898), अहमदाबाद (3,293), चेन्नई (1,729) और इंदौर (1,611) में सामने आए हैं। इन पांचों शहरों में कोरोना मामलों की संख्या, भारत में कुल मामलों की संख्या का लगभग आधा (45 फीसदी) है।