Wednesday - 30 October 2024 - 2:45 PM

UP : शिवपाल जीते लेकिन सपा का सियासी किला..

  • बीजेपी ने सूबे के सहकारी ग्रामीण विकास बैंक के चुनाव में 323 सीटों में से 293 पर जीत दर्ज की है
  • साल 1991 में मुलायम सिंह यादव परिवार की एंट्री हुई
  • हाकिम सिंह करीब तीन माह के लिए सभापति बने और 1994 में शिवपाल यादव सभापति बने
  • केवल भाजपाकाल में तत्कालीन सहकारिता मंत्री रामकुमार वर्मा के भाई सुरजनलाल वर्मा अगस्त 1999 में सभापति निर्वाचित हुए थे 

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सपा पहले जैसी मजबूत नजर नहीं आ रही है। मुलायम की पार्टी बेहद कमजोर हो गई है। मोदी लहर में बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। हालांकि यूपी में विधान सभा चुनाव में अब ज्यादा दिन नहीं रह गए है। ऐसे में सपा लगातार मेहनत कर रही है।

सपा से अलग हो चुके शिवपाल यादव भी कई मौकों पर कह चुके हैं कि अगले विधानसभा चुनाव के लिए सभी समाजवादियों को एक होना पड़ेगा तब जाकर बीजेपी को रोका जा सकता है। हालांकि उनके इस प्रस्ताव पर अखिलेश से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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दूसरी ओर विधान सभा चुनाव से पहले सपा को तगड़ा झटका तब लग जब उत्तर प्रदेश सहकारी भूमि विकास बैंकों के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी जीत का परचम बुलंद किया। आलम तो यह रहा कि 323 शाखाओं के लिए हुए चुनाव में 293 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की।

मुलायम के कुनबे को इतनी बड़ी हार की उम्मीद नहीं थी। हालांकि शिवपाल यादव और उनकी पत्नी अपनी सीट बचाने में जरूर कामयाब रही। बता दें कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ग्रामीण विकास बैंक के सभापति रहे हैं।

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इस वजह से सपा के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी लेकिन हुआ एकदम इसका उलट पूर्वांचल से लेकर पश्चिम यूपी तक सपा को करारी शिकस्त देखने को मिली। बीजेपी की इस जीत के पीछे बीजेपी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल का हाथ है। उन्होंने बीजेपी संगठन को मजबूत किया और नतीजा यह रहा कि सहकारिता चुनाव मुलायम के वर्चस्व को पूरी तरह से खत्म कर दिया।

सहकारी ग्रामीण बैंक की स्थानीय प्रबंध समितियों व सामान्य सभा के चुनाव में पश्चिम की 59 में से 55, अवध के 65 में 63, काशी क्षेत्र के 38 में से 33 और गोरखपुर के 34 में 30 स्थानों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया है। ऐसे ही कानपुर क्षेत्र में 45 में से 34 और ब्रज में 82 में से 78 क्षेत्र में बीजेपी को जीत मिली है। मथुरा के गोवर्धन और नौझील में नामांकन ही नहीं हो सके. जबकि कुशीनगर की पडरौना, बांदा की बबेरू, फतेहपुर की बिंदकी खागा, सोनभद्र की राबर्टसगंज व कानपुर की घाटमपुर व चौबेपुर में चुनाव निरस्त हो गए।

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