Wednesday - 30 October 2024 - 10:25 PM

निर्भया कांड : आरोपियों को फांसी देने की तैयारी शुरु

न्यूज़ डेस्क

निर्भया कांड को करीब सात साल पूरे होने वाले है। इस कांड ने देश भर के लोगों को झकझोर कर रख दिया था। आज भी लोगों के जेहन में इस कांड की यादें ताजा है कि कैसे 12 दिसंबर की उस रात को कुछ दरिंदों ने निर्भया को बुरी तरह से रौंद दिया था। लेकिन अब इस कांड में एक नया मोड़ आ गया है।

जी हां तिहाड़ जेल और मंडोली जेल में बंद निर्भया के तीन दोषियों ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने से मना कर दिया है। साथ ही बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी नहीं खटखटाया गया। जानकारों की माने तो अब दया याचिका दाखिल करने का समय  ख़त्म हो गया है।

ऐसे में दया याचिका राष्ट्रपति के पास न भेजे जाने के चलते जेल प्रशासन निचली अदालत को अर्जी भेजकर दोषियों को फांसी देने की तैयारी शुरू कर देगा।

देश-दुनिया को हिला कर रख देने वाले निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के मुजरिमों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की दरवाजा नहीं खटखटाया। वे मौत की सजा में कमी या उससे माफी के लिए मुजरिम राष्ट्रपति के पास जाने की बात से पहले ही मना कर चुके हैं।

वहीं, दूसरी तरफ तीनों मुजरिमों ने सोमवार को दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन को उनके नोटिस का जबाब दाखिल कर दिया। इस बात की पुष्टि दोषियों के वकील डॉ. अजय प्रकाश सिंह ने की है।

दरअसल 29 अक्टूबर को जेल प्रशासन ने दोषियों को दया याचिका दाखिल करने संबंधी नोटिस दिया था। इसके बाद से उनको नोटिस में मिलने वाले दिन से लेकर दया याचिका के लिए सात दिन का समय दिया गया था, जोकि अब खत्म हो चुका है।

कानून सबके लिए समान

इस बीच तीनों सज़ायाफ्ता मुजरिमों के वकील सोमवार को तिहाड़ और मंडोली जेल पहुंच गये। वकीलों ने संबंधित जेल के अधीक्षक कार्यालय में उनके यहां से जारी नोटिस का जबाब दाखिल किया। मुजरिम अक्षय कुमार सिंह और विनय कुमार शर्मा के वकील डॉ. अजय प्रकाश सिंह ने बताया कि, कानून सबके लिए समान है।

याचिकाएं डालने का हमारा हक अभी बाकी

हमारे मुवक्किलों के लिए उस समय दया याचिका भेजने लिए सात दिन का नोटिस जारी किया जब कई दिनों की एक साथ छुट्टियां पड़नी तय थीं, जोकि सरासर कानून का मजाक बनाने जैसा था।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे मुवक्किल पवन कुमार गुप्ता की उम्र को लेकर केस हाईकोर्ट में लंबित है। जबकि विनय और अक्षय को लेकर भी याचिकाएं डालने का हमारा हक अभी बाकी है।’

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