जुबिली न्यूज डेस्क
निहंग संप्रदाय के प्रमुख बाबा अमन सिंह के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर की एक कथित तस्वीर ने मंगलवार को एक विवाद खड़ा कर दिया।
वहीं तस्वीर में दिख रहे धर्मगुरु ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने सिंघू में किसानों के विरोध स्थल को छोडऩे के लिए उनको पैसे की पेशकश की थी।
कृषि मंत्री की जिस तस्वीर पर विवाद खड़ा हुआ है उसमें पंजाब के पूर्व पुलिस अधिकारी गुरमीत सिंह पिंकी भी दिख रहे हैं, जिन्हें हत्या के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके अलावा बीजेपी नेता हरविंदर गरेवाल भी इस बैठक में शामिल हुए थे। बैठक करीब दो महीने पहले होने की बात कही जा रही है।
कुछ दिनों पहले ही सिंघू बार्डर पर हुई दलित सिख की लिंचिंग में बाबा अमन सिंह के संप्रदाय का एक सदस्य मुख्य आरोपी है। अमन सिंह ने घटना के बाद अपने बयान में हत्या को जायज ठहराया था।
मंगलवार को सिख धर्मगुरु अमन सिंह ने आरोप लगाया, “किसानों के विरोध स्थल को छोडऩे के लिए मुझे 10 लाख रुपये की पेशकश की गई थी; मेरे संगठन को भी एक लाख रुपये की पेशकश की गई थी, लेकिन हमें खरीदा नहीं जा सकता।”
उन्होंने कहा कि निहंग संगठन 27 अक्टूबर को फैसला करेंगे कि सिंघू में रहना है या नहीं। वहीं कृषि मंत्रालय ने इस मामले पर सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।
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वहीं इस मामले में पंजाब के पूर्व पुलिस अधिकारी गुरमीत सिंह ने कहा, “यह सच है कि बाबा अमन को मैं जानता हूं, और हम लोग अगस्त में मंत्री के घर गए थे, लेकिन यात्रा का उद्देश्य अलग था। मैं किसी निजी काम से गया था। निहंग संप्रदाय के मुखिया कृषि विधेयकों की बात कर रहे थे, लेकिन मेरे सामने उन्हें पैसे का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया था। मुझे नहीं पता कि उनके और तोमर के बीच क्या हुआ था।”
कृषि कानूनों पर गतिरोध के समाधान के लिए कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर विरोध प्रदर्शन करने वाले नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।
इस बीच, पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मंगलवार को कहा कि निहंग नेता के साथ तोमर की कथित तस्वीर ने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया है।
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बिना किसी का नाम लिए डिप्टी सीएम रंधावा ने दावा किया कि वही निहंग नेता हत्या के मुख्य आरोपी का “बचाव” कर रहा है। निहंग समूह ने पीडि़त पर एक सिख पवित्र ग्रंथ को अपवित्र करने का आरोप लगाया था।
सुखजिंदर सिंह रंधावा ने एक बयान में कहा, “निहंग नेताओं में से एक के विशेष रूप से केंद्र सरकार के कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के संपर्क में होने के हालिया खुलासे के मद्देनजर लिंचिंग की घटना में पूरी तरह से अब एक नया मोड़ आ गया है।”
उन्होंने दावा किया, “ऐसा प्रतीत होता है कि किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की गहरी साजिश है।”
वहीं इस मामले में पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि सिंघू बॉर्डर पर हुई हत्या में ‘एजेंसियोंÓ की भूमिका हो सकती है, लेकिन उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया। उन्होंने एक बयान में कहा, “निश्चित रूप से जो कुछ दिखाई पड़ रहा है, उससे अलग कुछ है।”
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जाखड़ ने आरोप लगाया, “बीजेपी लंबे समय से विरोध कर रहे सिखों को आतंकवादी करार देने के लिए सिख आंदोलन के रूप में धर्मनिरपेक्ष किसानों के संघर्ष को कलंकित करने की कोशिश कर रही है।”
उन्होंने कहा कि पंजाबी देश की तलवार भुजा हैं। उन्होंने मौत होने की वजह की घटनाओं की गहन जांच कराने की मांग की।
मालूम हो कि लखबीर सिंह की पिछले हफ्ते बेरहमी से हत्या कर दी गई थी और उनका शरीर किसानों के विरोध स्थल पर एक बैरिकेड्स से बंधा हुआ था। साथ ही एक हाथ कटा हुआ था और धारदार हथियारों से कई घाव भी किए गए थे।
हत्या के लिए गिरफ्तार किए गए निहंगों में से एक सरबजीत सिंह ने दावा किया कि उन्होंने उस व्यक्ति को सिखों के पवित्र ग्रंथ को “अपवित्र” करने के लिए “दंडित” किया है।