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बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव के नामांकन रद्द करने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग से कहा कि वह बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव की वाराणसी संसदीय सीट से नामांकन रद्द किए जाने के खिलाफ दर्ज शिकायत पर गौर करे।
मालूम हो तेज बहादुर यादव ने वाराणसी संसदीय सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया था।
आयोग ने कुछ जरूरी कागजात न दिखा पाने का हवाला देकर उनका नामांकन रद्द कर दिया था। उसी के खिलाफ पूर्व बीएसएफ जवान ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इसमें उन्होंने आयोग के फैसले को पक्षपातपूर्ण और तर्कहीन बताते हुए इसे निरस्त करने का अनुरोध किया है।
सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्वाचन आयोग के वकील से कहा कि वे इस संबंध में आवश्यक निर्देश प्राप्त करके 9 मई को अदालत को अवगत कराएं। वहीं तेज बहादुर यादव के वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के दौरान भी चुनाव याचिका दायर की जा सकती है।
क्या था मामला
तेज बहादुर यादव अपने एक वीडियो की वजह से चर्चा में आए थे। उस वीडियो में जवानों को दिए जाने वाले भोजन पर सवाल उठाया था, जिसके बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।
कुछ समय पहले यादव ने वाराणसी से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। वे अपने कुछ साथियों के साथ चुनाव प्रचार कर रहे थे। उसी दौरान समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपने टिकट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया जिसे उन्होंने मान लिया। इसे लेकर तमाम मीडिया में चर्चा चल रही थी कि चुनाव आयोग ने यादव को नोटिस जारी कर दिया। बाद में उनका नामांकन रद्द कर दिया गया।