जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार चुनाव से पहले दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बीच हुई बैठक ने महागठबंधन की राजनीति को एक नया मोड़ दे दिया है। कांग्रेस ने अब साफ कर दिया है कि वो बिहार में सिर्फ सपोर्टिंग रोल नहीं निभाएगी, बल्कि फ्रंटफुट पर खेलेगी।
कांग्रेस की बदली रणनीति
पहले कांग्रेस नेता खुद लालू प्रसाद यादव के दरबार में जाकर चुनावी समीकरण तय करते थे, लेकिन अब कांग्रेस ने अपनी कार्यशैली बदल दी है।
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तेजस्वी यादव को दिल्ली बुलाकर कांग्रेस ने यह साफ संकेत दिया कि अब मोलभाव कांग्रेस के टर्म पर होगा।
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पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस 70 से कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी, और जिताऊ सीटों पर ही उम्मीदवार उतारेगी।
क्या बोले तेजस्वी यादव?
राहुल गांधी से मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने कहा:
“सीएम फेस को लेकर मीडिया परेशान न हो। चुनाव से पहले या बाद में, समय आने पर सब बता दिया जाएगा।”
बैठक के बाद तेजस्वी के बदले लहजे से साफ है कि आरजेडी अब उतनी स्पष्ट नहीं रही जितनी बैठक से पहले थी।
बैठक से पहले क्या था आरजेडी का रुख?
बैठक से पहले आरजेडी ने मीडिया में साफ तौर पर कहा था:
“बिहार में तेजस्वी यादव ही हमारे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। इसमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। जनता ने भी उन्हें मुख्यमंत्री मान लिया है।”
विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
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बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा:
“ये कुर्सी के लिए सियासी नौटंकी हो रही है। कांग्रेस ने तेजस्वी को वेटिंग लिस्ट में डाल दिया है।”
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जेडीयू ने भी चुटकी ली:
“अगर कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी तेजस्वी को नेता मानती है, तो यह उसकी राजनीतिक दुर्गति है।”
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तेजस्वी पर सस्पेंस बरकरार
बैठक में मौजूद कांग्रेस नेताओं सचिन पायलट और कृष्णा अलवरु ने भी यह साफ किया कि:
“सीएम फेस का फैसला चुनाव बाद किया जाएगा।”
कांग्रेस अब किसी भी दल के सामने झुकने के मूड में नहीं है।