जुबिली न्यूज डेस्क
‘जी-23’ समूह को लेकर कांग्रेस के भीतर मची रार अब सड़कों पर भी दिखने लगी है। जम्मू में सोनिया गांधी को खत लिखने वाले ‘जी-23’ नेताओं की बैठक और गुलाम नबी आजाद द्वारा पीएम मोदी की तारीफ के बाद से पार्टी के भीतर घमासान इस कदर बढ़ गया है कि अब गुलाम नबी आजाद के खिलाफ न सिर्फ नारे लगाए जा रहे हैं, बल्कि उनका पुतला भी जलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ को लेकर घिरे गुलाम नबी आजाद के खिलाफ जम्मू में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए और उनका पुतला जलाया।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें काफी आदर दिया, मगर आज जब उन्हें पार्टी को समर्थन देना चाहिए तो वह भाजपा के साथ दोस्ती निभा रहे हैं। वह यहां डीडीस चुनाव में कैंपेनिंगे के लिए नहीं आए, मगर यहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर रहे हैं।
इससे पहले गुलाम नबी आजाद कांग्रेस नेताओं के निशाने पर भी आ चुके हैं। तमिलनाडु की कांग्रेस सासंद ज्योति मनी ने भी गुलान ऩबी आजाद को संबोधित करते हुए कहा था, ‘डियर गुलाम नबी आजाद दी, आप मोदी जी की जितनी चाहें तारीफ कर सकते हैं, लेकिन याद रखें उन्होंने कश्मीर को टुकड़ों में बांट दिया। कांग्रेस और इसी राज्य व यहां के लोगों ने आपको वह बनाया है जो आप दशकों से रहे हैं।’
Congress workers raise slogans against Ghulam Nabi Azad and burn his effigy in Jammu. They say, "Congress held him in high esteem but today when it's time to support it, he forged friendship with BJP. He didn't come for DDC election campaigning but now he's here, praising PM." pic.twitter.com/cqn3XhxfeP
— ANI (@ANI) March 2, 2021
रंजीत रंजन ने लगाया था साजिश का आरोप
कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने कहा था कि कुछ लोग केवल राज्यसभा सीट पाने के लिए पार्टी की आलोचना कर रहे हैं, जबकि पार्टी ने इन लोगों (जी-23 के नेता) को उससे ज्यादा दी है, जितने के वे हकदार थे। उन्होंने आगे कहा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का यह व्यवहार एक साजिश की तरह लगता है।
जम्मू में जुटे थे जी-23 के नेता
जम्मू में गुलाम नबी आजाद की इस टिप्पणी से एक दिन पहले कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन और संगठनात्मक फेरबदल की मांग करने वाले ‘जी-23 के कई नेता एक मंच पर एकत्र हुए थे। उनका कहना था कि पार्टी कमजोर हो रही है और वे इसे मजबूत करने के लिए एक साथ आए हैं। कांग्रेस के इन असंतुष्ट नेताओं को ‘जी-23 भी कहा जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में राज्यसभा में आजाद को विदाई देते समय उनकी जमकर तारीफ की थी और एक घटना का जिक्र करते हुए भावुक भी हो गए थे।
‘ग्रुप-23’ के नेताओं में शामिल और हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए गुलाम नबी आजाद ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। उन्होंने पीएम मोदी को जमीन से जुड़ा हुआ नेता बताते हुए कहा था कि लोगों को उनसे सीखना चाहिए कि कामयाबी की बुलंदियों पर जाकर भी कैसे अपनी जड़ों को याद रखा जाता है। उन्होंने पीएम मोदी के बचपन में चाय बेचने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी असलियत नहीं छिपाई।
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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने यहां गुर्जर देश चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को दुनिया से अपनी असलियत नहीं छिपानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ”मैं खुद गांव का हूं और मुझे इसका फक्र है। मैं अपने प्रधानमंत्री जैसे नेताओं की काफी प्रशंसा करता हूं जो कहते हैं कि वह गांव से हैं। वह चाय बेचते थे।’ आजाद ने कहा, ”मोदी के साथ मेरे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन वह भी अतीत में चायवाला होने के बारे में खुल कर बात करते हैं।’
संसद में भी भावुक हुए थे दोनों
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद के रिटायरमेंट पर राज्यसभा में पीएम मोदी ने उनकी जमकर तारीफ की थी और यहां तक की उनसे जुड़ी एक घटना को याद करके भावुक भी हो गए थे। पीएम मोदी ने आजाद को सैल्यूट किया था। बाद में गुलाम नबी आजाद भी भावुक हो गए थे। गुलाम नबी आजाद पार्टी के उन 23 नेताओं में प्रमुख चेहरा हैं जो संगठन चुनाव की मांग को लेकर मोर्चा खोल चुके हैं। एक दिन पहले ही इन नेताओं ने जम्मू में सभा की थी और कहा था कि वे कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं।